लंदन, 9 मार्च (आईएएनएस)। क्या आपको भी इस बात पर आश्चर्य होता है कि कैसे धनुर्धर अर्जुन ने अपने तीर से पेड़ पर बैठी नकली चिड़िया की आंख को निशाना बनाया था? इसका कारण मानव मस्तिष्क में स्थित एक खास तंत्र है, जो खुद ही विकसित होता है।
एक शोध के अनुसार, मानव मस्तिष्क सूचनाओं की बाढ़ में से प्रासंगिक वस्तु या विषय का चुनाव कर सकता है और यह भी निर्धारित कर सकता है कि कौन-सा भाग पूर्णतया संबंधित है।
उदाहरण के लिए यदि हम किसी घर के दरवाजे पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो मस्तिष्क खुद से ही खिड़कियों को संबद्ध कर लेता है, लेकिन इसका विस्तार दूसरे घरों तक नहीं होता।
गोएथ युनिवर्सिटी फ्रैंकफर्ट के वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि ऐसा तब भी होता है, जब किसी वस्तु का कोई हिस्सा हमारे मस्तिष्क की यादों में बना रहता है।
शोधकर्ता बेंजामिन पीटर्स ने कहा, “यह हमारे मस्तिष्क के आवश्यक कौशल हैं, जिनका करीबी संबंध बुद्धिमत्ता से है और यह विभिन्न मानसिक बीमारियों से जुड़ा हुआ है।”
पीटर्स और उनके सहयोगियों ने ‘वस्तु आधारित ध्यान’ का परीक्षण और अध्ययन किया और पाया कि जब हम किसी वस्तु के सिर्फ एक हिस्से पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो स्वत: ही मस्तिष्क उस वस्तु की तस्वीर संपूर्णता में पेश करता है।