भोपाल- वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में अधिकारियों ने एक अकुशल श्रमिक को बिना सुरक्षा साधनों के घड़ियाल बाड़े की सफाई करने अंदर भेज दिया। इस दौरान घडियाल ने उस पर हमला कर दिया। पास ही मौजूद अन्य श्रमिकों और कर्मचारियों ने उसे बमुश्किल घड़ियाल के चंगुल से बचाया। लेकिन इतनी बड़ी दुर्घटना के बावजूद प्रबंधन ने पूरे मामले को दबा दिया। घायल श्रमिक को निजी अस्पताल में भर्ती कर चोट तार से कटने से लगना बता दिया गया। ठीक उपचार नहीं मिलने पर स्वजनों ने उसे अन्य निजी अस्पताल में भर्ती कराया है। इसके बाद से वन विहार प्रबंधन ने नए अस्पताल में इलाज का खर्च उठाने से भी हाथ खींच लिए हैं।
सैर-सपाटा के नजदीक बस्ती में रहने वाला मुकेश पिता राजू वन विहार में श्रमिक है। वन विहार के घड़ियाल बाड़े में पानी कम होने पर बुधवार 15 जून को अधिकारियों ने मुकेश और एक श्रमिक को बाड़े की सफाई के लिए अंदर भेजा गया था। यहां दोनों श्रमिक कमर तक गहरे पानी में चोई और करा साफ करने लग गए। इस बीच पानी में धीरे-धीरे नजदीक आए घड़ियाल ने मुकेश के दाहिने पांव को पकड़ लिया। मुकेश ने घड़ियाल की पकड़ से छूटने की कोशिश की तो घड़ियाल ने एक बार फिर पैर दबा लिया। इस बीच साथ काम कर रहे श्रमिक ने शोर मचाया और बाड़े के बाहर खड़े कर्मचारियों ने बमुश्किल उसे बचाकर बाहर निकाला।
घड़ियाल के हमले के बाद वन विहार प्रबंधन के कर्मचारी मुकेश को डिपो चौराहे के पास एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। इस दौरान उसके परिजनों को सूचना नहीं दी गई। अस्पताल में भी यह बताया गया कि नुकीले तार से कट जाने से पैर में चोट आई है। यहां दो दिन तक इलाज चला, लेकिन सुधार नहीं देखकर परिजन मुकेश को हड्डी के विशेषज्ञ डाक्टर के पास ले गए। पहले दो दिन के इलाज का खर्च तो वन विहार के अधिकारियों ने दिया, लेकिन अस्पताल बदलने के बाद हाथ खींच लिए। पूरे मामले में घबराया मुकेश कुछ भी बोलने से बच रहा है, वहीं परिजन परेशान हैं कि अब उसका इलाज कैसे कराएं और घायल होने के बाद मुआवजा कैसे मिल सकेगा?