गुजरात सरकार ने फर्जी एनकाउंटर के मामले में कैद पुलिस अधिकारी वंजारा का भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा नामंजूर कर दिया है. उनके इस्तीफे की चिट्ठी से राजनीतिक हलके में हंगामा मच गया है.
दूध से मक्खी की तरह निकाल फेंके जाने का दर्द क्या होता है, यह बयान किया है जेल में बंद गुजरात के निलंबित पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा ने अपनी दस पन्नों की चिट्ठी में. इस्तीफे वाली इस चिट्ठी को गुजरात सरकार ने नामंजूर कर दिया है लेकिन चिट्ठी ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए परेशानी जरूर खड़ी कर दी है.
गुजरात सरकार ने वंजारा के इस्तीफे को नामंजूर करते हुए कहा कि वह एनकाउंटर मामले के आरोपी हैं, इसलिए उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा सकता. लेकिन वंजारा की कड़वी चिट्ठी ने प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी की छवि पर एक बार फिर सवाल उठाए हैं. वंजारा की चिट्ठी के बाद कांग्रेस ने मुख्य मंत्री के इस्तीफे और पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है.
चिट्ठी में वंजारा ने गुजरात की राज्य सरकार पर पुलिस तंत्र के दुरुपयोग का आरोप लगाया. वंजारा 2007 से सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर के मामले में जेल में हैं. पिछले साल उनका मामला ट्रायल के लिए गुजरात से महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया गया था. वंजारा ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि उन्होंने और उनके साथ हिरासत में लिए गए दूसरे अधिकारियों ने जो कुछ किया वह राज्य सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार ही किया, लेकिन अब सरकार को उनकी जरूरत नहीं.
गुजरात में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की छवि रखने वाले पूर्व डीआइजी वंजारा का कहना है कि उन्होंने पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाए लेकिन राज्य सरकार समय पड़ने पर अपने अधिकारियों की रक्षा करने से पीछे हट गई.
गुजरात सरकार ने वंजारा का इस्तीफा नामंजूर कर दिया है.
अपनी इस चिट्ठी में मोदी पर सीधा वार करते हुए उन्होंने लिखा है, अगर फर्जी एनकाउंटर के आरोप में पुलिस अधिकारियों को जेल भेजा जा सकता है तो राज्य सरकार की जगह नवी मुंबई की तलोजा जेल या अहमदाबाद की साबरमती जेल में होनी चाहिए.”
2002 से 2005 के बीच जब वंजारा अहमदाबाद के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस थे तब बीस लोगों का एनकाउंटर हुआ. 2007 में गुजरात सीआइडी ने वंजारा को सोहराबुद्दीन मामले में आठ लोगों के फर्जी एनकाउंटर के आरोप में गिरफ्तार किया था. इन आरोपों के खिलाफ वंजारा का कहना था कि मारे गए आठों लोग पाकिस्तानी आतंकवादी थे. बाद में सीबीआई की जांच में सामने आया कि सभी एनकाउंटर फर्जी थे.
वंजारा ने कहा कि सीआइडी ने अगर उन्हें और उनके साथी पुलिस अधिकारियों को फर्जी एनकाउंटर के लिए गिरफ्तार किया, तो फिर इस तरह की नीतियां निर्धारित करने वालों की भी गिरफ्तारी होनी चाहिए. पुलिस अधिकारी होने के नाते हमने वही किया जिस बात के लिए हमें राज्य सरकार की तरफ से निर्देश दिए गए.
वंजारा ने चिट्ठी में लिखा कि 2002 से 2007 के बीच हुए एनकाउंटरों में क्राइम ब्रांच, एंटी टेरर स्क्वॉड (एटीएस) और बॉर्डर रेंज के अधिकारियों ने गुजरात दंगों के बाद आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का पालन किया, लेकिन समय पड़ने पर मोदी सरकार ने उनका साथ छोड़ दिया.
इस महीने नरेंद्र मोदी का नाम 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदार के रूप में औपचारिक रूप से घोषित किए जाने की उम्मीद की जा रही है. वंजारा की इस चिट्ठी के बाद मोदी की छवि पर एक और बार सवाल खड़े हो रहे हैं.