दमिश्कः कट्टरपंथी वहाबी मुफ़्तियों का इस्लाम विरोधी ‘जिहादे निकाह’ फतवा अब तक अनगिनत मासूम लड़कियों और महिलाओं का जीवन तबाह कर चुका है। इस्लामी विद्वानों और विचारकों की ओर से बार-बार इसकी निंदा किए जाने के बावजूद अभी भी यह सिलसिला जारी है। इस बार ब्रिटेन की तीन नाबालिग छात्राएं इस फतवे की भेंट चढ़ी हैं।
टाइम्स के अनुसार अपने घरों से पलायन करने वाली शमीमा बेगम, ख़दीजा सुल्ताना और आमरा अब्बास ने सीरियाई धरती पर कदम रखने के लिए तुर्की सीमा तक सड़क के रास्ते यात्रा करके सीरिया पहुंचीं। बताया जाता है कि तुर्की की सीमा पर उपस्थित आइएस आतंकियों से उनकी मुलाकात हुई जो उन्हें अपने साथ वाहन में बैठाकर सीरिया ले गए।
पूर्वी लंदन में अपने घरों से निकलने वाली यह लड़कियाँ अलग अलग तुर्क एयर लाइंस की उड़ान में सवार हुईं। उनके बारे में विचार व्यक्त किया गया है कि वे छह दिन पहले कैलिस क्रासिंग के पास तुर्की से सीरिया चली गई हैं। ब्रिटिश पुलिस ने भी इस विश्वास को व्यक्त किया था कि लड़कियां पहले ही तुर्की सीमा पार करके सीरिया पहुंच चुकी हैं। उनके सीरिया पहुंच जाने की खबरें आने के बाद उन्हें अपने घरों को लौटने की प्रेरणा देने की सारी उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं।
याद रहे कि आइएस कट्टरपंथी आतंकी यौन संतोष के लिए बड़ी संख्या में मुसलमान महिलाएं किसी इस्लामी और कानूनी प्रक्रिया के बिना सेक्स वर्कर के रूप में सेवा दे रही हैं। आइएस के तथाकथित जेहादियों के लिए यौनकर्मी के रूप में काम करने के लिए प्रोत्साहित करने वालों में सऊदी मुफ़्तियों का हाथ माना जा रहा है कि जो जिहादे निकाह से नामित शर्मनाक फतवे जारी करके मुसलमान लड़कियों को आइएस के हिंसक और अधर्म प्रकार के जल्लादों को अय्याशी उपकरण प्रदान करने की प्रेरणा दिलाई। जिसकी वजह से हजारों निर्दोष महिलाओं और लड़कियों का जीवन नष्ट हो रहा हैं। और अब जब इन कट्टरपंथी आतंकवादियों ने सऊदी अरब के हितों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया तो अब ऐसे तथाकथित मुफ्ती फतवा देते हैं कि “यह शैतानी संगठन है”।
सच टाइम्स से