मुंबई, 19 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने सेवानिवृत न्यायमूर्ति आर.एम.लोढा की अध्यक्षता वाली समिति की बोर्ड के कामकाज में सुधार तथा बदलाव सम्बंधी कुछ सिफारिशों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय जाने का फैसला किया है।
बीसीसीआई की शुक्रवार को हुई विश्ेाष आम सभा में यह फैसला लिया गया। बोर्ड के सचिव अनुराग ठाकुर निचली अदालत में समिति की सिफारिशों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय जाने से संबंधी एक हलफनामा दाखिल करेंगे, जिसमें समिति की सिफारिशों को लागू करने में आ रही समस्याओं का जिक्र होगा।
बोर्ड के सदस्यों ने ठाकुर और बीसीसीआई के अध्यक्ष शशांक मनोहर को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के संविधान में उसकी प्रशासनिक और वित्तीय स्थिति के विषयों पर चर्चा करने के लिए भी अधिकृत किया है। इसका मकसद आईसीसी में भारत, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के एकाधिकार को समाप्त करना है, जो कि बीसीसीआई के अध्यक्ष का मकसद भी है।
बीसीसीआई ने इस बैठक में 2016 से 2023 तक के लिए फ्यूचर टूर्स प्रोग्राम (एफटीपी) को फिर से काम करने का फैसला किया, जिससे कि सभी आयोजन स्थलों को बराबर हिस्सेदारी मिल सके।
बीसीसीआई ने इस बैठक में संबद्धता समिति की छत्तीसगढ़ राज्य को बोर्ड के स्थायी सदस्य का दर्जा देने की मांग को स्वीकार करते हुए छत्तीसगढ़ को बोर्ड को स्थायी सदस्य का दर्जा दे दिया है। यह राज्य घरेलू आयोजनों के लिए मध्य क्षेत्र का हिस्सा होगा।
इंडियम प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 2013 संस्करण में स्पॉट फिक्सिंग व सट्टेबाजी प्रकरण के बाद क्रिकेट की सफाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लोढा समिति का गठन किया गया था।
तीन सदस्यीय इस समिति ने सर्वोच्च न्यायालय के सामने अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसे अगर लागू कर दिया जाए तो क्रिकेट की प्रशासनिक व्यावस्था में काफी बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
बोर्ड ने साफ किया है कि वह लोढा समिति की कुछ सिफारिशों को मानने के लिए तैयार है लेकिन कुछ उसके संविधान के खिलाफ हैं, लिहाजा ऐसे मामलों में वह सर्वोच्च न्यायालय की शरण लेगा।
इन सुझावों में बोर्ड के अधिकारियों के कार्यकाल की सीमा तय करना, अधिकारियों की आयु सीमा 70 वर्ष निर्धारित करना, एक राज्य एक वोट और मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों को बोर्ड के अधिकारी बनने से रोकना शामिल है।
ठाकुर ने बीसीसीआई सहयोगियों को एक पत्र में लिखा है, “कुछ सुझाव लागू करने पर दूरगामी परिणाम होंगे इसलिए यह सुझाव दिया गया है कि इस पर किसी विशेषज्ञ की राय ली जाए।”
बंगाला क्रिकेट संघ (कैब) ने कुछ दिनों पहले ही समिति की 21 में से 10 सिफारिशों को खारिज कर दिया था। इसके अलावा दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) ने भी समिति के सुझावों को लागू करने से इनकार कर दिया है।