नई दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)। नरेंद्र मोदी सरकार के भले ही एक साल पूरे हो गए हैं, लेकिन लोकसभा में दो एंग्लो-इंडियन सदस्यों के मनोनयन पर अबतक कोई फैसला नहीं हुआ है।
नई दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)। नरेंद्र मोदी सरकार के भले ही एक साल पूरे हो गए हैं, लेकिन लोकसभा में दो एंग्लो-इंडियन सदस्यों के मनोनयन पर अबतक कोई फैसला नहीं हुआ है।
एंग्लो-इंडियन समुदाय और इसके संगठनों के सदस्यों द्वारा बार-बार मांग किए जाने के बावजूद यह संभव नहीं हो पाया है।
अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आईएएनएस को बताया, “लोकसभा में दो एंग्लो-इंडियन सदस्यों के मनोनयन की प्रक्रिया जारी है। हमें समुदाय से कुछ नाम मिले हैं, लेकिन अबतक कोई फैसला नहीं किया।”
उन्होंने कहा, “उचित व्यक्ति का मनोनयन जल्द किया जाएगा।”
संविधान के अनुच्छेद 331 के अनुसार, अगर राष्ट्रपति को लगता है कि लोकसभा में एंग्लो-इंडियन सदस्य को सही रूप से प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, तो वह खुद सदन के लिए दो सदस्यों का मनोनयन कर सकते हैं।
अल्संख्यक मामलों की मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने इससे पहले प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, यह पत्र तब लिखा गया था जब एंग्लो-इंडियन एसोसिएशंस ऑफ इंडिया के प्रतिनिधिमंडल ने तीन महीने पहले उनसे मुलाकात कर मनोनयन की अपील की थी। एसोसिएशन ने कुछ नाम भी मंत्री को सुझाए थे।
एसोसिएशन ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को ज्ञापन सौंप कर मामले पर अविलंब हस्तक्षेप करने की अपील की थी।
पिछली लोकसभा में एंग्लो-इंडियन सदस्य केरल के चार्ल्स डायस और छत्तीसगढ़ के इंग्रिड मैक्लियाड रहे हैं।
डायस ने हो रही देरी पर असंतोष जाहिर करते हुए आईएएनएस से कहा यह इस समुदाय के साथ क्रूरता है।
उन्होंने कहा, “हम अपने संवैधानिक अधिकार के लिए किसी भी हद तक जाएंगे।”
डायस ने कहा कि सरकार ने इस अनुरोध पर कोई जवाब नहीं दिया है।
उन्होंने कहा, “यह बहुत गंभीर विषय है। सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना होगा।”
डायस ने कहा कि अनुचित रूप से इसमें देरी की जा रही है और एंग्लो इंडियन सदस्य की मौजूदगी के बिना सदन का 20 फीसदी हिस्सा बीत गया।
अटल बिहारी वाजपेयी नीत राजग कार्यकाल सहित पिछले सभी लोकसभाओं में मनोनयन जल्द कराए गए हैं। वाजपेयी सरकार ने बीट्रिक्स डीसूजा और डेंजिल बी.अटकिंसन को मनोनीत किया था।
फ्रैंक एंटनी और ए.ई.टी.बॉरो प्रथम लोकसभा के मनोनित सदस्य थे।