नई दिल्ली, 1 मई (आईएएनएस)। सरकार विमान किराए के नाम पर हो रही लूट के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकती। एक संसदीय समिति ने यह टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि नियम इस खराब प्रचलन पर रोक लगाने में बाधा बन रहे हैं तो उनमें बदलाव होने चाहिए।
समिति ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से यह भी कहा है कि वह विशेषकर उन नियमों और अधिनियमों का अध्ययन करे जो इस लूट जैसे विमान किराया मुद्दे के समाधान की राह में बाधक हैं। साथ ही यह भी कहा है कि मंत्रालय इससे निपटने के लिए भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में भी विस्तार से बताए।
समिति ने कहा है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने जो स्पष्टीकरण दिया है वह पूरी तरह से तकनीकी है। उसमें कहा गया है कि वह मौजूदा कानूनों के तहत कुछ भी करने में असमर्थ है। समिति का मानना है कि यह देश के नागरिकों के हितों की रक्षा करने की मंत्रालय की मूल जिम्मेदारी को छोड़ देने के बराबर है।
समिति ने कहा कि इसलिए वह मजबूती के साथ यह संस्तुति करती है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय को अपनी हदों के बारे में स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। मंत्रालय को सभी साझीदारों के साथ विचार-विमर्श करके इस समस्या से निपटने के लिए किए जाने वाले कानूनी या अन्य बदलावों की जरूरत के बारे में स्पष्ट करना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस के कनवर दीप सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि दिल्ली में एक दिसंबर 2013 को विमान ईंधन 74 हजार 204 रुपये 74 पैसे प्रति किलोलीटर था, वह कम होकर इस साल एक मार्च को 35 हजार 127 रुपये प्रति किलोलीटर हो गया। इसके बावजूद किराया कम करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया।
समिति ने कहा कि वह यह समझ सकती है कि किसी एयरलाइंस के विमान संचालन के कुल खर्च का 40 फीसदी ईंधन पर खर्च होता है। कमेटी ने कहा कि इस अवधि में ईंधन की लागत में हुई कमी का 50 फीसदी लाभ भी उपभोक्ताओं को नहीं दिया गया।
समिति ने संस्तुति की है कि मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाना चाहिए कि एयरलाइंस हवाई किराए में कमी करके इसका लाभ यात्रियों को मुहैया कराए। साथ ही मंत्रालय इस बारे में उठाए गए खास कदमों और उसके परिणामों की जानकारी समिति को दे।
लोकसभा में गुरुवार को नागरिक उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू ने कहा था कि टिकटों के मूल्य में महज दो फीसदी ही वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि एयरलाइंस बिना वजह किराया बढ़ाने में लिप्त नहीं रहती।