नई दिल्ली– उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर 2000 में ऐतिहासिक लाल किले पर हुए हमले के दोषी लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य मोहम्मद आरिफ उर्फ आफाक की फांसी पर फिलहाल रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही आरिफ की अपील को संविधान पीठ के सुपुर्द कर दिया है। न्यायालय ने आज कहा कि अपीलकर्ता की फांसी पर फिलहाल अमल नहीं किया जाएगा। आरिफ ने उसकी पुनर्विचार और संशोधन याचिकाओं के निपटारे में प्रक्रियागत गड़बड़ियों का हवाला देते हुए अपील दायर की है। अपीलकर्ता का कहना है कि उसने अब तक लगभग 14 वर्ष जेल में काट लिये हैं और उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। उसने मुकदमे की सुनवाई के दौरान कहा कि जेल में उसे मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। गौरतलब है 22 दिसम्बर 2000 को लश्कर के छह आतंकवादियों ने राजधानी के ऐतिहासिक लाल किला में घुसकर राजपूताना रायफल्स की सातवीं बटालियन के शिविर पर हमला बोल दिया था, जिसमें दो जवानों सहित तीन लोगों की मौत हो गई थी। निचली अदालत ने 2005 में आरिफ को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने भी बरकरार रखा था।
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