नई दिल्ली, 18 मई (आईएएनएस)। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शनिवार को कहा कि आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) पर अल्पमत का निर्णय रिकॉर्ड करने और निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा की तरफ से उन्हें भेजे गए पत्र को लेकर पैदा हुआ विवाद बेकार है और गैर जरूरी है।
नई दिल्ली, 18 मई (आईएएनएस)। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शनिवार को कहा कि आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) पर अल्पमत का निर्णय रिकॉर्ड करने और निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा की तरफ से उन्हें भेजे गए पत्र को लेकर पैदा हुआ विवाद बेकार है और गैर जरूरी है।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर और इससे संबंधित मामलों पर चर्चा के लिए मंगलवार को निर्वाचन आयोग की एक बैठक बुलाई गई है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने एक बयान में कहा, “मीडिया के एक वर्ग में आदर्श आचार संहिता से निपटने के संबंध में भारत निर्वाचन आयोग की आंतरिक कार्यप्रणाली के बारे में आज एक बेकार और गैर जरूरी विवाद की खबर आई है।”
बयान के अनुसार, “यह विवाद ऐसे समय में पैदा हुआ है, जब देशभर में सभी सीईओ (मुख्य चुनाव अधिकारी) और उनकी टीमें कल होने वाले सातवें और अंतिम चरण के मतदान और उसके बाद 23 मई की मतगणना के लिए अपनी तैयारी में जुटी हुई हैं।”
बयान में कहा गया है कि 14 मई को ईसी की पिछली बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया था कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान सामने आए मुद्दों से निपटने के लिए कुछ समूह गठित किए जाएंगे, जैसा कि 2014 के लोकसभा चुनाव बाद किया गया था।
बयान में कहा गया है, “पहचाने गए 13 मुद्दों में आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) भी शामिल था।”
सीईसी ने कहा है कि एमसीसी पर लवासा का पत्र चुनाव आयोग का एक आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि यह ईसीआई का एक आंतरिक मामला है और इस संबंध में कोई कयासबाजी और अनुमान से बचा जाना चाहिए।”
अरोड़ा ने कहा है कि अतीत में भी निर्वाचन आयोग के सदस्यों के बीच मतभेद रहे हैं, लेकिन वह मानते हैं कि बेकार का विवाद पैदा करने से बेहतर है कि शांत रहा जाए।
बयान में कहा गया है, “निर्वाचन आयोग के तीनों सदस्यों से एक-दूसरे का क्लोन या टेम्पलेट होने की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। पहले भी कई बार मतभेद रहा है, जो हो सकता है और होना भी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “लेकिन ऐसे मतभेद ज्यादातर पदमुक्त होने तक ईसीआई के दायरे के अंदर ही रहे हैं। जबतक कि निर्वाचन आयुक्तों या मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने उसे किताबों में नहीं लिखा।”
अरोड़ा ने कहा कि जरूरत पड़ने पर वह किसी सार्वजनिक बहस से कभी पीछे नहीं भागे, लेकिन हर चीज का समय होता है।
उन्होंने कहा, “मैंने कुछ दिनों पूर्व एक प्रमुख दैनिक से कहा था कि मौन की भाषा हमेशा कठिन होती है, लेकिन निर्वाचन प्रक्रिया को देखने के लिए यह अधिक जरूरी है, बनिस्बत कि बेकार के विवाद पैदा किए जाएं।”
निर्वाचन आयोग की यह प्रतिक्रिया उन खबरों के बाद आई है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह के भाषणों पर क्लीन चिट दिए जाने से असहमति जताने के बाद निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर एमसीसी उल्लंघनों पर निर्णय करने के लिए आयोजित होने वाली पूर्ण आयोग की बैठकों से खुद को अलग कर लिया है।
लवासा ने अपने पत्र में जोर देकर कहा है कि वह बैठक में तभी शामिल होंगे, जब उनके अल्पमत के निर्णयों को भी आयोग के निर्णयों में शामिल किया जाए।
तीन सदस्यों वाले पूर्ण आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और दो अन्य आयुक्त- अशोक लवासा और सुशील चंद्र शामिल हैं।