भोपाल-लक्षिका डागर सिर्फ 21 वर्ष की उम्र में मध्य प्रदेश की सबसे कम उम्र की सरपंच बनी हैं. उनकी यह उपलब्धि इसलिए भी खास है, क्योंकि पुरुष प्रधान समाज में वह इतनी कम उम्र में सरपंच बनी हैं. लक्षिका कहा कहना है, ‘मैं सबसे कम उम्र की युवा सरपंच बनने जा रही हूं, इस बात की मुझे बहुत खुशी है. मैं चाहती हूं कि गांव में अच्छा विकास हो. मैं सभी की समस्याओं को सुलझा सकूं, यही उम्मीद है.’ लक्षिका को अपने कार्यकाल से जैसी उम्मीदें हैं, उनकी पंचायत को भी उनसे ऐसी ही उम्मीदें हैं. यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि लक्षिका उम्मीदों पर खरी उतरती हैं या नहीं.
मध्य प्रदेश के उज्जैन में 21 वर्ष की लड़की लक्षिका डागर मध्य प्रदेश की सबसे कम उम्र की सरपंच (Pradhan) बनी हैं. आमतौर पर ग्राम पंचायतों में पुरुषों का दबदबा होता है और इसमें भी अधेड़ उम्र के पुरुष ज्यादा होते हैं. कुछ महिलाओं को सरपंच बनने का अवसर मिलता भी है तो आमतौर पर उनकी जगह उनके पति ही ज्यादातर निर्णय लेते हैं. यह व्यवस्था इतनी मजबूत है कि सरपंच (Sarpanch) के पति के लिए एक अलग नाम गढ़ दिया गया है, जिसे ‘प्रधान पति’ कहा जाता है. ग्राम पंचायतें गांव के विकास संबंधी तमाम निर्णय लेती हैं और इन सब निर्णयों की जिम्मेदारी सरपंच की होती है.