नई दिल्ली, 6 सितम्बर (आईएएनएस)। पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या की चौतरफा निंदा के बीच कांग्रेस और वामपंथी दलों ने बुधवार को इस हत्या के लिए भाजपा-आरएसएस को ठहराया और कहा कि ‘असहमति के स्वरों को कुचला जा रहा है।’
भगवा दल ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि न तो भारतीय जनता पार्टी, न ही उसकी सरकार और उससे जुड़ी कोई अन्य संस्था इस हत्या के पीछे है।
भाजपा के विरोधी इस मौके का प्रयोग उस पर हमला बोलने के लिए कर रहे हैं। उनका कहना है कि लंकेश की हत्या और उससे पहले तर्कवादी सोच रखनेवाले नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे और एम. एम. कलबुर्गी की हत्या में एक समानता है। यह विरोध के स्वर को दबाने की कोशिश है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि इस हत्या के बारे में जान कर झटका लगा। उन्होंने कहा, “इसे और सहन नहीं किया जाना चाहिए।”
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की ओर से जारी बयान में गांधी ने कहा, “अपने निडर और स्वतंत्र विचारों के लिए जानी जानेवाली गौरी लंकेश ने इस व्यवस्था के विरोध में असाधारण धैर्य और दृढ़ संकल्प दिखाया था।”
बयान में कहा गया है, “तर्कवादियों, स्वतंत्र विचारकों और देश के पत्रकारों की हत्याओं की श्रृंखला ने एक ऐसा माहौल पैदा किया है, जिसमें वैचारिक मतभेद हमारे जीवन को खतरे में डाल सकता है। ऐसा नहीं होना चाहिए और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।”
गांधी ने कहा, “यह हमारे लोकतंत्र के लिए एक बहुत ही दुखद क्षण है और असहिष्णुता और कट्टरता हमारे समाज में बढ़ रही है।”
उनके बेटे और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक कदम आगे बढ़ते हुए भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने असंतोष के स्वर को दबाया है। उन्होंने कहा कि यह ‘उनकी’ विचारधारा का हिस्सा था।
गांधी ने कहा, “जो कोई भी भाजपा के खिलाफ बोलता है, उसे चुप करा दिया जाता है। लोग कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री चुप हैं और उन्होंने कुछ भी नहीं कहा है। उनकी पूरी विचारधारा का मुख्य बात यही है कि विरोध के आवाजों को दबा दो।”
राहुल ने कहा, “इस देश का इतिहास अहिंसा का है .. हत्या का औचित्य सही साबित नहीं किया जा सकता है।”
कांग्रेस ने कहा, “सामान्य नागरिकों की आवाज को दबाना और विरोध के स्वर को खामोश कर देना मोदी सरकार के तहत ‘न्यू इंडिया’ का नारा है।”
इस हत्या की निंदा करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने देश में ‘असहिष्णुता और नफरत में बढ़ोतरी’ के खिलाफ एक मजबूत विरोध प्रदर्शन करने के लिए लोकतांत्रिक ताकतों का आह्वान किया।
माकपा ने एक बयान में कहा है कि लंकेश की हत्या ‘आरएसएस और भाजपा द्वारा नफरत और असहिष्णुता के वर्तमान माहौल के खिलाफ बोलने की हिम्मत करने वाली आवाजों को खामोश कर देने की परिचित पद्धति से मेल खा रही है।’
बयान में कहा गया है कि पानसरे, दाभोलकर, कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या ‘सभी परस्पर जुड़े हुए हैं।’
बयान में कहा गया है, “वे सभी अंधविश्वास, असहिष्णुता और दक्षिणपंथी हिंदुत्व के सांप्रदायिक एजेंडे के विरोध में मुखर थे।”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लंकेश की हत्या पर चिंता व्यक्त की और न्याय की मांग की।
बनर्जी ने ट्वीट किया, “बेंगलुरू में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से मैं बहुत दु:खी हूं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, हम न्याय चाहते हैं।”