दरअसल, हाल ही में आधुनिक तरीके से बनाए गए प्रेसवार्ता हॉल में सिन्हा अपने मंत्रालय की योजनाओं के बारे में पत्रकारों को बता रहे थे। लेकिन उनकी आवाज पत्रकारों तक नहीं पहुंच रही थी। इस बात को लेकर पूरे वार्ता समय में करीब तीन-चार बार पत्रकारों ने इस समस्या से रेलमंत्री को अवगत कराया।
मंत्री ने आधुनिक मंच पर इधर से उधर चहलकदमी करते हुए अपनी बात रखी, ताकि हर तरफ सुनाई दे। इस दौरान जहां रेलमंत्री को असुविधा हुई, वहीं पत्रकारों को भी काफी असुविधा हुई। हालांकि रेल मंत्री ने अपने लक्ष्य के मुताबिक प्रेसवार्ता में अपने मंत्रालय की 27 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं का जमकर बखान किया।
सिन्हा ने वर्ष 2016-17 के रेल में बजट में उप्र के लिए 27 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं के प्रावधान का पूरा ब्यौरा दिया और कहा कि आजादी के बाद से अभी तक की किसी भी सरकार ने पूरे बजट का एक चौथाई भी उप्र को नहीं दिया।
पत्रकारों ने जब पूछा कि योजनाओं की घोषणाएं तो हुईं, लेकिन काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है, तब रेलमंत्री ने कहा कि अधिकतम सात महीने में सभी योजनाओं पर काम शुरू हो जाएगा।
सिन्हा ने कहा कि गोमती नगर स्टेशन के बारे में बैठकें हो चुकी हैं, निर्णय भी हुआ है। लखनऊ के गोमती नगर स्टेशन देश के सबसे विशिष्ट स्टेशनों में से एक होगा।
केंद्र सरकार क्या बजट के माध्यम से उप्र की रेलवे लाइन पर 2017 की ‘चुनावी रेल’ चलाना चाहती है? इस सवाल पर रेलमंत्री ने कहा, “ऐसा नहीं है। हम तो जनता तक रेल की योजनाओं को पहुंचाना चाहते हैं।”
गौरतलब है कि हाल ही में भाजपा के प्रदेश कार्यालय का कायाकल्प किया गया है। पुराने कार्यालय का नवीनीकरण कर उसका उद्घाटन भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने किया था। पुराने से आधुनिक बनाए गए प्रेसवार्ता हॉल में सभी सुविधाएं तो नजर आ रही हैं, लेकिन सबसे अहम माइक की व्यवस्था चरमराई सी दिख रही है।
मंच से होने वाला संबोधन श्रोता के कानों तक नहीं पहुंच रहे हैं। यही कारण रहा कि रेल राज्यमंत्री को भी अपनी प्रेसवार्ता के दौरान काफी असुविधा उठानी पड़ी।