नई दिल्ली-देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थापित तीन मानद विश्वविद्यालयों को संस्कृत के केंद्रीय विश्वविद्यालय (सेंट्रल यूनिवर्सिटी) के रूप में मान्यता देने वाला विधेयक सोमवार को राज्यसभा में पारित हो गया। राज्यसभा की मंजूरी मिलने के साथ ही संस्कृत भाषा के केंद्रीय विश्वविद्यालयों से जुड़ा यह विधेयक अब कानून की शक्ल ले चुका है। इस अवसर पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, “यशस्वी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संस्कृत की गुणवत्तापरक, नवाचार युक्त शिक्षा प्रदान करने के पुनीत संकल्प के साथ संस्कृत के तीन मानद विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने संबंधी विधेयक को राज्यसभा में पारित होने पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई।”
पोखरियाल ने राज्यसभा में विधेयक पारित होने के बाद संतोष जाहिर करते हुए कहा, “मुझे पूर्ण विश्वास है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त करने के बाद हमारे ये तीनों संस्थान एक नए विश्वास, उत्साह, ऊर्जा और संकल्प के साथ संस्कृत के संरक्षण, संवर्धन और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”
निशंक ने कहा कि संस्कृत हमारे अतीत और वर्तमान को जोड़ने वाली कड़ी है। संस्कृत भाषा प्राचीन ज्ञान के भंडार का द्वार भी है। उन्होंने कहा कि भारत की अखंडता और एकात्मता का सर्वोत्तम माध्यम संस्कृत है।
संसद की इस मंजूरी के बाद राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान और श्री लाल बहादुर शास्त्री विद्यापीठ के साथ-साथ संस्कृत विद्यापीठ को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है।
संस्कृत के केंद्रीय विश्वविद्यालय को लेकर सोमवार को राज्यसभा द्वारा पारित किए जाने से पहले यह विधेयक लोकसभा में पारित किया जा चुका है। लोकसभा में यह विधेयक पिछले वर्ष दिसंबर में पारित किया गया था। देश में तीन मानद संस्कृत विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान करने वाले केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक-2019 को अब संसद के दोनों सदनों ने अपनी मंजूरी दे दी है। इस कानून के मुताबिक, नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, लाल बहादुर शास्त्री विद्यापीठ के साथ ही तिरुपति स्थित राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है।
इस दौरान निशंक ने कहा, “संस्कृत न केवल एक भाषा है, बल्कि यह भारत की आत्मा है।”