जयपुर, 14 फरवरी (आईएएनएस)। राजस्थान में तंबाकू उत्पादों के सेवन से प्रतिवर्ष 50 हजार से ज्यादा लोग काल कवलित होते जा रहे हैं। ऐसा खुलासा गेट्स द्वारा हुए सर्वेक्षण में सामने आया है। राजस्थान सरकार को तंबाकू उत्पादों पर विभिन्न करों से 1000 करोड़ रुपये से भी कम की आय होती है और इसकी कीमत प्रतिवर्ष 50 हजार से अधिक राजस्थानी लोगों को अपनी मौत से चुकानी पड़ रही है।
राजस्थान वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन के परियोजना निदेशक विक्रम राघव ने बताया कि राज्य में वर्ष 2010 में वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण (गेट्स) के द्वारा किए गए सर्वेक्षण में सामने आया है कि प्रदेश में करीब 1.5 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं और इनमें से लाखों तंबाकू से संबधित रोगों के कारण प्रतिवर्ष मृत्यु को प्राप्त होते हैं।
इनमें से 72 हजार राजस्थानी भी शामिल हैं। इसमें 50 हजार से अधिक वे लोग हैं जो तंबाकू के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। यहां पर महिला वर्ग में तंबाकू सेवन शुरू करने की औसत उम्र 14 वर्ष तथा पुरुषों में 17 वर्ष आंकी गई है।
ग्लोबल एडल्ट टोबैको के सर्वेक्षण में यह भी सामने आया है कि राज्य में बालिकाएं मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही तंबाकू का सेवन शुरू कर देती है। यह औसत उम्र देश में सबसे कम है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को प्रतिवर्ष करीब 22 हजार करोड़ रुपये का राजस्व विभिन्न मदों से प्राप्त होता है, वहीं इसमें 750 करोड़ रुपये का राजस्व तंबाकू उत्पादों से आता है। राज्य में करीब 72 हजार मौतें प्रतिवर्ष तंबाकू से हो रही हैं। तंबाकू वर्तमान में व्याप्त अन्य बीमारियों का भी प्रमुख कारण है।
वहीं प्रतिदिन 5,500 बच्चे देशभर में तंबाकू के नए उपभोक्ता बन रहे हैं, वहीं प्रदेश में यह संख्या लगभग 350 है। राज्य में 350 नए तंबाकू उपभोक्ता प्रतिदिन तैयार हो रहे हैं।
राज्य सरकार को तंबाकू कर से पिछले वित्तवर्ष में 1000 करोड़ रुपये की आय हुई, लेकिन राज्य में तंबाकू के उपयोग को कम करने के लिए इस राशि का एक प्रतिशत हिस्सा भी जन जागरूकता पर या आमजन को समझाने पर खर्च नहीं किया गया।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, पान मसाला में वर्ष 2009-10 में 288.16, 2010-11 में 378.08, 2011-12 में 693.19, 2012-13 में 940.07, 2013-14 में 750.14, 2013-14 से दिसंबर 13 तक 573.21 व 2014-15 दिसंबर तक 538.60 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हुआ है।
वर्ष 2011 में राजस्थान में 35 से 69 साल के बीच के लोगों के लिए तंबाकू के प्रयोग की वजह से होने वाला कुल आर्थिक खर्च 1,160 करोड़ रुपये था, जिसमें 70 प्रतिशत चिकित्सा मद में खर्च हुआ और 31 प्रतिशत अप्रत्यक्ष खर्च रुग्णता की वजह से हुआ।
चार विशेष रोगों (सीवीडी, कैंसर, टीबी और श्वास संबंधी रोग) की वजह से होने वाला खर्च 504 करोड़ रुपये था। तंबाकू के प्रयोग की वजह से हुआ अस्थमा रोग सबसे अधिक आर्थिक बोझ (174 करोड़ रुपये) साबित हुआ। इसके बाद हृदयवाहिनी रोग (सीवीडी) से 131 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ, श्वास संबंधी रोग से 126 करोड़ रुपये एवं कैंसर से 73 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा।
चार रोगों में श्वास रोग की वजह से कुल परोक्ष चिकित्सा खर्च सबसे अधिक 32 प्रतिशित हुआ और 39 प्रतिशत कुल अप्रत्यक्ष खर्च हुआ।
कैंसर के अलावा तंबाकू के इस्तेमाल की वजह से होने वाले तमाम दूसरे रोगों पर होने वाला आर्थिक खर्च सबसे अधिक पुरुषों पर हुआ। कैंसर पर महिलाओं (धूम्ररहित तंबाकू उत्पादों के कारण) में होने वाला खर्च 5.5 करोड़ था। पुरुषों में यह खर्च 4.0 करोड़ रुपये था।
पूर्व की कांग्रेस सरकार के गुटखा प्रतिबंध पर तंबाकू कंपनियों ने नया तरीका इजाद कर तंबाकू व पान मसाला अलग-अलग पाउचों में बाजार में उपलब्ध करवाया गया। ऐसी स्थिति में वर्तमान सरकार को चाहिए कि इसके खतरों को ध्यान में रखते हुए चूसने व चबाने वाले सभी तंबाकू उत्पादों पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाए।
तंबाकू इन राज्यों में है प्रतिबंधित :
आंध्र प्रदेश (28 दिसंबर, 2013 से), असम व बिहार (7 नवंबर, 2014 से), गोवा व हिमाचल प्रदेश (17 जुलाई, 2012 से), जम्मू एवं कश्मीर (6 मार्च, 2013 से), महाराष्ट्र (15 जुलाई, 2014 से), मणिपुर (26 फरवरी, 2013 से), मिजोरम (22 अगस्त, 2012 से), पंजाब (28 नवंबर, 2014 से)।
वर्ष 2015 में राज्य सरकार के द्वारा तंबाकू उत्पादों की रोकथाम के लिए वर्तमान में सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। इसके तहत स्वास्थ्य विभाग के द्वारा ठोस रणनीति बनाकर तंबाकू नियंत्रण समिति का गठन भी किया गया है। यह समिति प्रदेशभर में तंबाकू रोकने में महती भूमिका निभाएगी।