कोलकाता, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट श्रृंखला पर बरकरार असमंजस की स्थिति के बीच पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अध्यक्ष शहरयार खान ने गुरुवार को भारत से आग्रह किया कि वह खेल को राजनीति से दूर रखे।
शहरयार ने वहीं द्विपक्षीय श्रृंखला नहीं हो पाने की स्थिति में भारत का बहिष्कार करने के विकल्प को इस्तेमाल करने से भी इनकार नहीं किया है।
खान ने यहां संवाददाताओं से कहा, “राजनीति को खेल से नहीं मिलाया जाना चाहिए। दोनों अलग हैं। दर्शकों और प्रशंसकों को शानदार क्रिकेट से दूर न करें।”
शहरयार ने अपने उस बयान से इनकार कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि श्रृंखला न हो पाने की स्थिति में पाकिस्तान आईसीसी द्वारा आयोजित टूर्नामेंटों में भारत का बहिष्कार करेगा, हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि बहिष्कार सबसे आखिर में इस्तेमाल किया जाने वाला विकल्प होगा।
उन्होंने कहा, “नहीं, मैंने कभी भी आईसीसी के टूर्नामेंटों में भारत का बहिष्कार किए जाने की बात नहीं कही। लेकिन पीसीबी अभी भी इस वर्ष दिसंबर में दोनों देशों के बीच प्रस्तापित द्विपक्षीय श्रृंखला के भविष्य के बारे में जानना चाहता है।”
शहरयार ने आगे कहा, “बहिष्कार आखिरी उपाय है, लेकिन एक विकल्प तो है ही। अगर आप हुए समझौते की परिस्थितियों से सहमत नहीं हैं तो निश्चित तौर पर हम मुआवजे की मांग करेंगे। इस श्रृंखला के लिए समझौता हो चुका है और यदि यह श्रृंखला नहीं हो पाती तो मुआवजे की मांग पूरी तरह उचित है।”
उन्होंने कहा, “बीसीसीआई यदि हस्ताक्षर कर दिए गए समझौते का सम्मान नहीं कर सकता तो हमें आगे के ऊपाय पर विचार करना होगा। हमारे पास अन्य कई विकल्प मौजूद हैं। लेकिन यदि श्रृंखला नहीं हो पाती है तो हमें आर्थिक और अन्य तरह का घाटा होगा।”
पीसीबी प्रमुख बुधवार रात को यहां बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया के परिजनों से मुलाकात करने के लिए भारत पहुंचे।
डालमिया का 20 सितम्बर को निधन हो गया था। वह 75 साल के थे।
भारत और पाकिस्तान के बीच इस साल दिसम्बर में द्विपक्षीय सीरीज होनी थी लेकिन कूटनीतिक स्तर पर जारी तनाव के कारण इस सीरीज पर ग्रहण लग गया है।
शहरयार खान ने कहा कि वह बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर से मिलने वाले हैं और द्विपक्षीय श्रृंखला की संभावनाओं पर उनसे चर्चा करेंगे।
उन्होंने कहा, “मुझे अनुराग से जवाब मिला था कि वह मुझसे दुबई में मिलेंगे, जहां शायद हम यह निर्णय करें कि क्या किया जाना चाहिए। लेकिन आखिरी निर्णय अंतत: भारत की सरकार को ही लेना है।”