जुबेर जामिया मिलिया इस्लामिया स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष रहे 48 साल के जुबेर 1990 में 26 साल की उम्र में विधायक बन गए थे। अलवर से आने वाले जुबेर जीतेंद्र सिंह के करीबी माने जाते हैं। जुबेर के पिता 38 साल तक सरपंच रहे हैं।
प्रकाश जोशी
43 साल के प्रकाश जोशी एनएसयूआई और आईवाईसी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव हैं। पंजाब में यूथ कांग्रेस में हुए आंतरिक चुनाव को देखने के लिए राहुल गांधी ने प्रकाश को चुना था। मूल रूप से उत्तराखंड से आने वाले प्रकाश अपने राज्य में विधानसभा चुनाव 2,000 वोटों से हारे थे।
शकील अहमद खान
एसएफआई छोड़कर कांग्रेसी बने शकील अहमद खान 46 साल के बिहार से आने वाले नेता हैं। वे 1992-93 में जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं। 1999 में शकील कांग्रेस में शामिल हो गए।
कुलजीत सिंह नागरा
पंजाब छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष 47 साल के कुलजीत सिंह नागरा ने 1997 में इंडियन यूथ कांग्रेस को ज्वॉइन किया था। पूर्व हॉकी खिलाड़ी नागरा ने 2012 में पंजाब विधानसभा चुनाव में सिमरनजीत सिंह मान और प्रेम सिंह चंदू माजरा जैसे कद्दावर नेताओं को हराया था। नागरा राजनीतिक परिवार से नहीं आते हैं।
संजय कपूर
उत्तर प्रदेश की बिलासपुर विधानसभा से तीन बार विधायक 49 साल के संजय कपूर उन आठ जोनल अध्यक्षों में से एक हैं, जिन्हें राहुल गांधी ने यूपी में हाल ही में नियुक्त किया था। 20 साल की उम्र में संजय यूथ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बन गए थे। वे 18 साल तक इस पद पर रहे। संजय रामपुर में नवाब परिवार की मजबूत मौजूदगी के बावजूद अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं। संजय के पास कानून की डिग्री है।
परेश धनानी
कांग्रेस के 13 नए सचिवों में परेश धनानी सबसे युवा हैं। वे महज 36 साल के हैं और यूथ कांग्रेस के महासचिव रहे हैं। परेश ने पहली बार सुर्खियां तब बटोरी थीं, जब उन्होंने अमरेली विधानसभा सीट पर पुरुषोत्तम रुपाला को हराया था। परेश के पिता बैंक में अफसर थे।
नसीब सिंह
दिल्ली यूनिवर्सिटी के दयाल सिंह कॉलेज के छात्र रहे 47 साल के नसीब सिंह ने अपना राजनीतिक करियर 1986 में एनएसयूआई के जरिए शुरू किया था। वे अपने कॉलेज में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं। वे तीन बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं और शीला दीक्षित के संसदीय सचिव रहे हैं।
शुभंकर सरकार
एनएसयूआई की बंगाल ईकाई छात्र परिषद के अध्यक्ष रहे शुभंकर सरकार कानून की डिग्री ले चुके हैं। जीवन के छठे दशक में प्रवेश कर चुके शुभंकर वे बंगाल में उस दौर में भी कांग्रेस में टिके रहे जब उनके ज्यादातर साथी तृणमूल कांग्रेस में चले गए। सरकार अपनी बेबाक राय के लिए भी जाने जाते हैं। कांग्रेस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि कुछ समय पहले शुभंकर ने राहुल गांधी को एक चिट्ठी दी थी, जिसमें सरकार ने राहुल गांधी को देश भर में यात्रा कर पार्टी में जान फूंकने की सलाह दी गई थी ताकि नरेंद्र मोदी का मुकाबला किया जा सके।
भूपेन कुमार बोरा
असम से आने वाले 43 साल के भूपेन दो बार एमएलए रह चुके हैं। डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रैजुएट भूपेन एनएसयूआई और आईवाईसी के जरिए कांग्रेस की मुख्यधारा की राजनीति में आए हैं। एक स्कूल टीचर के बेटे भूपेन ने राहुल गांधी के साथ पर्यवेक्षक के तौर पर मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में काम किया है।
गीताश्री ओरांव
गीताश्री कांग्रेस के पूर्व नेता कार्तिक ओरांव की बेटी हैं और पंजाब कैडर के आईपीएस अफसर की पत्नी हैं। उनकी मां तीन बार एमपी रही हैं। 47 साल की गीताश्री झारखंड में कांग्रेस की आदिवासी चेहरे के तौर पर सामने आ रही हैं। वे सिसई विधानसभा से विधायक हैं।
प्रभा तावियाड
1977 में अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री लेने वाली प्रभा तावियाड आदिवासी पृष्ठभूमि से आने वाली महिला हैं। गुजरात के आदिवासी बाहुल्य जिले साबरकांठा से आने वाली प्रभा दाहोद में अपने पति किशोर तावियाड के साथ रहती हैं। 2004 में प्रभा महज 381 वोटों से लोकसभा चुनाव हार गई थीं। लेकिन 2009 में वे दाहोद से लोकसभा चुनाव जीती थीं। गिरीश और सूरज के साथ प्रभा राहुल के साथ काम कर रही हैं।
सूरज हेगड़े
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री देवराज उर्स के 42 साल के पोते सूरज ने 1992 में एनएसयूआई ज्वॉइन किया था। लेकिन कम उम्र में अपने माता-पिता को खोने के बाद सूरज दस साल तक राजनीति से दूर हो गए थे। 2002 में वे राजनीति में फिर लौटे और यूथ कांग्रेस की राज्य ईकाई के महासचिव बने। यूथ कांग्रेस के लोकतंत्रीकरण में सूरज हेगड़े राहुल गांधी के संपर्क में आए।
गिरीश
45 साल के कॉमर्स पोस्ट ग्रैजुएट गिरीश राहुल गांधी के साथ काम कर रहे हैं। गोवा से आने वाले गिरीश ने अपना राजनीतिक जीवन बूथ स्तर के कार्यकर्ता से शुरू कर 11 सालों में गोवा यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने। गिरीश के पिता सब्जी बेचने का काम करते थे। उनकी पत्नी इंश्योरेंस एजेंट हैं।