नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने मंगलवार को जारी अपनी रपट में कहा है कि आधार कार्ड की देखरेख करने वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने अग्रणी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी विप्रो को रखरखाव का ठेका देने में 4.92 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ पहुंचाया।
सीएजी की रपट मंगलवार को सदन में पेश की गई, जिसमें कहा गया है, “यूआईडीएआई ने अनुबंध की शर्तो का उल्लंघन करते हुए विप्रो लिमिटेड को अनुचित लाभ पहुंचाते हुए उपकरणों के एक वर्ष तक रखरखाव का ठेका 4.92 करोड़ रुपये में दिया, जबकि इस खर्च को बचाया जा सकता था, क्योंकि पहले हुए अनुबंध के तहत इस अवधि में कंपनी को निशुल्क रखरखाव की जिम्मेदारी संभालनी थी।”
सीएजी की रपट के अनुसार, यूआईडीएआई और विप्रो के बीच मार्च, 2013 को उपकरणों की देखभाल के लिए 4.92 करोड़ रुपये के करार पर सहमति बनी थी, जिसकी अवधि फरवरी, 2013 से जनवरी, 2014 तय हुई थी। हालांकि यूआईडीएआई और विप्रो ने एक जून, 2013 को इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।
सीएजी की रपट में आगे कहा गया है, “यूआईडीएआई ने सूचना प्रसारण मंत्रालय की विज्ञापन नीतियों का पालन न करते हुए नई निविदाओं के विज्ञापन ‘विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय’ के जरिए प्रकाशित/प्रसारित नहीं करवाए। इस वजह से उचित छूट न मिलने के कारण 1.41 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।”