नई दिल्ली, 14 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि आधार के संबंध में डाटा की सुरक्षा लीक को लेकर रिपोर्ट गलत और गुमराह करने वाली है, क्योंकि डाटा को संग्रहित करने के लिए सबसे मजबूत एनक्रिप्शन तकनीक का प्रयोग किया गया है, जिसमें सेंध लगा पाना असंभव है।
यूआईडीएआई ने न्यायमूर्ति एस. रविन्द्र भट्ट और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ से कहा, “इसमें 2048-बीट एनक्रिप्शन तकनीक प्रयोग की गई है, जोकि सबसे ज्यादा मजबूत है और अगर यूआईडीएआई डाटा केंद्र में ट्रांजिट के दौरान इनरोलमेंट पैकेट सुलभ हो भी गया, तो भी इसकी सूचना को डीक्रिप्ट करना या बाहर निकालना असंभव है।”
पीठ आधार डाटा के लीकेज की वजह से हुई क्षति के संबंध में अनुकरणीय हर्जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
यह याचिका शमनाद बशीर ने दाखिल की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि आधारधारकों के निजी सूचना प्रसार से यह स्पष्ट हो गया कि सरकार सूचनात्मक निजता के अधिकार के किसी भी तरह के उल्लंघन के लिए दोषी होगी।
अपने शपथपत्र में सरकारी एजेंसी ने कहा कि आधार डाटा हमेशा से पूरी तरह से सुरक्षित है और डाटा की अन्य सुरक्षा व निजता के लिए लगातार सुरक्षा ऑडिट करवाए जाते हैं। इसके अलावा डाटा को सुरक्षित रखने के लिए सभी संभावित कदम उठाए जाते हैं।
इसके अलावा यूआईडीएआई के डाटा सेंटर में सुरक्षा के कई स्तर होते हैं और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल (सीआईएसएफ) इसकी सुरक्षा करती है।
यूआईडीएआई ने कहा, “आधार की तकनीकी संरचना इस तरह से तैयार की गई है कि इसमें उच्च स्तरीय निजता और सूचना सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए क्लीयर डाटा वेरीफिकेशन, ऑथिनटिकेशन और डी-डुप्लीकेशन को परखा गया है।”
बशीर के दावे पर जवाब देते हुए एजेंसी ने कहा कि याचिकाकर्ता फिर से उसी मुद्दे को उठा रहे हैं जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुना दिया है और इसलिए मौजूदा याचिका को जुर्माने के साथ खारिज कर देना चाहिए।
यूआईडीएआई ने कहा कि याचिका केवल इस अवधारणा पर है कि आम लोग कथित तौर पर असंतुष्ट हैं।
एजेंसी ने कहा, “याचिका में यह नहीं बताया गया है कि कैसे याचिकाकर्ता यूआईडीएआई के कार्य से असंतुष्ट है और उनके द्वारा किए गए क्षति के दावे से कैसे उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।”
यूआईडीएआई ने अपने जवाब में कहा, “याचिका में कोई दम नहीं है। कथित तथ्य (आधार डाटा के लीक से संबंधित) जिस आधार पर याचिकाकर्ता ने याचिका दाखिल की है वह अप्रमाणित कथन हैं और अदालत को गुमराह करने के लिए आधार योजना से संबंधित सूचना को पूरी तरह से गलत रूप से पेश किया गया।”
एजेंसी ने कहा, “याचिकाकर्ता ने अपने पूरे मामले में आधार डाटा के लीक के संबंध में गुमराह करने वाले और असत्यापित रिपोर्टों के आधार पर याचिका दाखिल की, जिसे पूरी तरह से गलत सूचना के तौर पर खारिज कर दिया गया था।”
एजेंसी ने अदालत से जुर्माने के साथ याचिका को खारिज करने का आग्रह किया और कहा कि इस याचिका में याचिकाकर्ता की कोई अधिस्थिति नहीं बनती।
शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ता ने कहा कि जब राज्य एक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों का हनन करती है, न्यायालय उसे मुआवजा दे सकता है।
बशीर ने इसके अलावा अदालत से डाटा लीक से हुई हानि के संबंध में दायरे का पता लगाने, उल्लंघनों के प्रसार की जांच के लिए कई विशेषज्ञों की एक स्वतंत्र समिति गठित करने का आग्रह किया।