कंपाला, 7 अगस्त (आईएएनएस)। युगांडा में भारतीय मूल के एक सांसद ने भारतीय समुदाय को एक जनजाति के रूप में संवैधानिक मान्यता देने का संसद से अनुरोध किया है। एक मीडिया रपट से यह जानकारी मिली।
संसद द्वारा हाल में संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौैरान टोरोरो नगरपालिका से सांसद संजय तन्ना ने यह प्रस्ताव किया।
तन्ना ने कहा, “हम भारतीय, युगांडा में 1973 से रह रहे हैं, जिन्हें युगांडा के नागरिक के रूप में संवैधानिक मान्यता मिलनी चाहिए, क्योंकि ऐसा रवांडा तथा बुरुं डी के नागरिकों के मामले में किया जा चुका है।”
युगांडा में भारतीयों को स्थानीय तौर पर बायिंडी कहा जाता है और तन्ना ने संसद से इसे एक जनजाति के रूप में मान्यता देने पर विचार करने को कहा।
कुछ सांसदों ने तन्ना के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें केवल नागरिक के तौर पर मान्यता दी जानी चाहिए, जनजाति के तौर पर नहीं। कुछ अन्य प्रवासियों ने हालांकि तन्ना के प्रस्ताव का समर्थन किया।
एक अन्य सांसद ने तन्ना की मांग को दोहराते हुए कहा, “कुछ (भारतीय) लोग यहां बहुत पहले से लगभग 1926 से रह रहे हैं। उन्हें जनजाति के तौर पर मान्यता दी जानी चाहिए।”
युगांडा में भारतीय 1800 के अंत में और 1900 के प्रारंभ में औपनिवेशिक काल के दौरान निर्माण श्रमिक के रूप में आए थे।
देश में रवांडा तथा बुरुं डी के प्रवासियों को 1995 में ही घरेलू जनजाति के रूप में संवैधानिक मान्यता दी जा चुकी है।