अकोला (महाराष्ट्र), 5 दिसम्बर (आईएएनएस)। भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा सोमवार से किसानों के मुद्दे को लेकर पुलिस मुख्यालय का घेराव कर रहे थे, और इस दौरान कुछ पुलिस अधिकारियों ने उन्हें चाय-नाश्ते की पेशकश की। इसपर महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों ने कथित तौर पर आपत्ति जताई।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, सोमवार देर शाम सिन्हा और कई किसानों को पुलिस मुख्यालय के बाहर आंदोलन शुरू करने के बाद हिरासत में ले लिया गया था।
बाद में, कुछ पुलिस अधिकारियों ने मानवीय आधार पर, उन्हें कुछ चाय और हल्के नाश्ते की पेशकश की, लेकिन जिला कलेक्टर के एक अधिकारी ने कथित तौर पर आपत्ति जताई और इस पेशकश के लिए उन्हें झाड़ लगाई।
मामले पर टिप्पणी के लिए जब सिन्हा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें भी इस बारे में जानकारी समर्थकों से मिली।
सिन्हा ने आईएएनएस को बताया, “लेकिन मैंने कलेक्टर कार्यालय के अधिकारियों द्वारा की गई आपत्ति खुद अपने कानों से नहीं सुनी।”
उन्होंने कहा कि सोमवार शाम से किसान अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार से ठोस आश्वासन पाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। इन मांगों में किसानों को उनके उत्पादन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य भी शामिल है।
सिन्हा ने कहा, “अभी तक स्थानीय जिला कलेक्टर को छोड़कर मुख्यमंत्री की तरफ से कोई भी शख्स हमसे मिलने या बात करने नहीं आया है।”
इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए कलेक्टर अष्टक कुमार पांडे कई प्रयासों और संदेशों के बावजूद उपलब्ध नहीं हुए।
अब, सिन्हा और तुषार गांधी समेत सभी लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर किसानों की मांग पूरी नहीं होती है तो वे भूख हड़ताल शुरू करेंगे। तुषार गांधी महात्मा गांधी के परपोते हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने फोन पर सिन्हा से बात की और उनसे किसानों के मुद्दों पर चर्चा की।
पवार ने सिन्हा से कहा कि उनकी पार्टी पूरी तरह से सिन्हा के साथ है और आंदोलन का समर्थन करती है।
इससे पहले सोमवार शाम सिन्हा और अन्य ने अकोला के शेतकारी जागरण मंच द्वारा आयोजित कपास, सोयाबीन और धान के किसानों की एक रैली को संबोधित किया था।
अपने भाषण में सिन्हा ने केंद्र और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ (भाजपा) दल पर चुनाव से पहले किए गए वादे से मुकरने का आरोप लगाया। भाजपा ने किसानों को एमएसपी 50 प्रतिशत से ऊपर देने का वादा किया था।
उन्होंने चेतावनी दी कि जैसे भारतीय सैनिकों ने सीमा पर सर्जिकल हमले को अंजाम दिया था, उसी तरह कृषि समुदाय भी जब तक न्याय नहीं मिल जाता सरकार के खिलाफ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ करेगा।