आगर, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले के किसान संतरे की अच्छी पैदावार से हर साल उत्साहित रहते थे, मगर इस बार बेमौसमी बारिश ने संतरे की फसल भी बेकार कर दी। संतरे अपनी रंगत में नहीं आ पाए, इसलिए खरीदार नहीं मिल रहे हैं। मायूस किसान सैकड़ों क्विंटल संतरे सड़कों पर फेंक रहे हैं।
आगर, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले के किसान संतरे की अच्छी पैदावार से हर साल उत्साहित रहते थे, मगर इस बार बेमौसमी बारिश ने संतरे की फसल भी बेकार कर दी। संतरे अपनी रंगत में नहीं आ पाए, इसलिए खरीदार नहीं मिल रहे हैं। मायूस किसान सैकड़ों क्विंटल संतरे सड़कों पर फेंक रहे हैं।
आगर-मालवा जिले की संतरा उत्पादक क्षेत्र के तौर पर देश में पहचान है। यहां का संतरा देश के अन्य स्थानों के साथ बांग्लादेश तक जाता है। इस बार किसानों की उम्मीदों पर बेमौसम बारिश विपदा बनकर आई है। पेड़ों पर फल खूब आए, मगर पकने से पहले ही झड़ गए, जो बचे वे पूरी तरह अपनी रंगत में नहीं आ पाए।
किसान जगदीश चौहान अपने खेत का जिक्र करते हुए बताते हैं कि उनके खेत में संतरे के आठ सौ से ज्यादा पेड़ हैं, सभी पर फल खूब आए, मगर फल समय पर पक नहीं पाए। अब खरीदार नहीं मिल रहा है, जो दाम लगाए जा रहे हैं, उससे तो भाड़ा तक नहीं निकल पा रहा है।
किसान लक्ष्मी नारायण संतरे की खेती का जिक्र आते ही उदास हो जाते हैं। कहते हैं, “क्या बताऊं, मौसम की मार ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। मंडी में आढ़ती कहता है, एक रुपये किलो के भाव से देना है तो दे दो। अब आप ही बताइए, इस रेट में तो मंडी तक ले जाने का भाड़ा भी नहीं निकलेगा। लागत, मेहनत सब बेकार गई। अब गुजारा कैसे चलेगा?”
उद्यानिकी विभाग (हॉर्टीकल्चर) के सुपरवाइजर ए.एल. चौहान ने आईएएनएस को बताया कि आगर-मालवा में लगभग 38 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में संतरे की खेती होती है और तीस हजार किसान इस काम में लगे हैं। इस बार फसल अच्छी आने की संभावना थी, मगर बेमौसम बारिश और ओलों से भारी नुकसान पहुंचा है।
चौहान के अनुसार, इस बार दोगुना तक पैदावार की संभावना थी, लेकिन मौसम में ठंड का असर ज्यादा लंबा खिंचने के कारण फल पकने में ज्यादा समय लगा। आधे से ज्यादा फल तो पकने से पहले ही गिर गए। जो बचे उनका भी पूरी तरह विकास नहीं हो पाया।
संतरा कारोबारी आतिफ ने बताया कि आगर का संतरा बांग्लादेश तक जाता है, मगर भारत सरकार ने जहां निर्यात शुल्क बढ़ाया है, वहीं बांग्लादेश ने आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर दी है। इसके चलते भरपूर मात्रा में संतरा बांग्लादेश नहीं जा पा रहे हैं। वहीं मौसम की मार ने फसल को भी प्रभावित कर दिया है, जिससे संतरे का आकर्षण कम हो गया है।
कई पीढ़ियों से संतरे की खेती करते आ रहे दुर्गा पालीवाल ने आईएएनएस को बताया, “मौसम ने आधी फसल निगल ली। जो बची है उसके सही दाम नहीं मिल रहे हैं। बड़ा व्यापारी भी सात रुपये किलो से ज्यादा दाम देने को राजी नहीं है।”
खरीदारों द्वारा कम कीमत पर संतरा खरीदने की वजह केंद्र सरकार द्वारा निर्यात शुल्क बढ़ाना है। निर्यात शुल्क को दो सौ रुपये पेटी (20 किलो) से बढ़ाकर नौ सौ रुपये कर दिया है, कारोबारी तो इस बढ़े शुल्क की भरपाई करेगा नहीं, लिहाजा सारा बोझ किसान पर आन पड़ा है। यही कारण है कि व्यापारी किसान से ही कम दाम पर संतरे ले रहा है।
पालीवाल बताते हैं कि पिछले वर्षो में प्रतिदिन दो सौ से तीन सौ ट्रक संतरा आगर मालवा से बाहर जाता था, मगर इस बार ऐसा नहीं है। मुश्किल से सौ से डेढ़ सौ ट्रक संतरा ही प्रतिदिन बाहर जा पा रहा है। इसके बावजूद किसान के हिस्से में कुछ नहीं आ रहा है।
आगर-मालवा के कई हिस्सों की सड़कों के किनारे इन दिनों छोटे संतरों के ढेर आसानी से देखे जा सकते हैं। किसान कहते हैं कि भाड़े की रकम वह अपनी जेब से नहीं दे सकते। मंडी ले जाने से अच्छा है, यहीं निपटा दिया जाए।
मौसम की मार ने किसानों को आंसू बहाने को मजबूर कर दिया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फलों की फसलों के नुकसान पर भी मुआवजे का ऐलान किया है, सर्वेक्षण कार्य पूरा हो चुका है। किसानों को राहत राशि आने का बेसब्री से इंतजार है।