नई दिल्ली, 16 अक्टूबर – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को श्रम सुधार के कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए। इन कदमों का प्रमुख आधार ‘भरोसा’ है और इनके जरिए देश में कारोबार करना आसान बनाने की कोशिश की गई है। मोदी ने कहा कि ये कदम देश की कार्य संस्कृति बदलने, सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देने और युवाओं में कुशलता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। प्रधानमंत्री ने दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम के दौरान श्रम सुविधा पोर्टल, श्रम जांच योजना और कर्मचारी भविष्य निधि की सार्वभौमिक खाता संख्या के जरिए सामाजिक सुरक्षा की पोर्टेबिलिटी की शुरुआत की। उन्होंने श्रम मंत्रालय के अप्रेंटिस प्रोत्साहन योजना की भी शुरुआत की।
मोदी ने कहा, “किस तरह कार्य संस्कृति को बदलेंगे? ये प्रयास बेहतरीन उदाहरण हैं। यही सीमित सरकार अधिकतम कल्याण (मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेस) है। ई-गवर्नेस सरल शासन है। यह पारदर्शिता के प्रति विश्वास पैदा करता है।”
इंस्पेक्टर राज के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अब एक कंप्यूटर यह तय करेगा कि अगले दिन निरीक्षक किस जगह का निरीक्षण करेंगे। उन्होंने साथ ही कहा कि श्रम बल के बारे में कंपनियों को पहले 16 फॉर्म भरने पड़ते थे, अब सिर्फ एक ही फॉर्म भरने होंगे।
उन्होंने कहा कि यह फार्म ऑनलाइन भरा जा सकेगा। श्रम सुविधा पोर्टल 16 श्रम कानूनों को ऑनलाइन फार्म के जरिए सरल बनाता है।
प्रधानमंत्री ने श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा के मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के पास 27,000 करोड़ रुपये ऐसे पड़े हुए हैं, जिस पर दावा करने वाला कोई नहीं है।
मोदी ने कहा, “यह पैसा भारत के गरीब कामगारों का है।”
उन्होंने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि के अंतर्गत सार्वभौमिक खाता संख्या के जरिए उपलब्ध पोर्टेबिलिटी से बड़ी संख्या में पैसे को खाते में बंद हो जाने और अपेक्षित लाभार्थी को न मिलने की दिक्कत से निजात मिलेगी।
मोदी ने कहा कि ‘श्रमेव जयते’ युवाओं में कौशल विकास करने और विश्व में कुशल कामगारों की जरूरत के संबंध में भारत के लिए अवसर बनाने के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम का ही महत्वपूर्ण हिस्सा है।
उन्होंने इस दौरान नेशनल ब्रांड एंबेसडर फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग पर एक पुस्तिका और ऑल इंडिया स्किल कंपीटीशंस की एक स्मारिका भी जारी की।
मोदी ने कहा कि कुशल श्रमिकों को समाज में उचित सम्मान नहीं मिला है और उनके काम को अन्य की अपेक्षा नीची दृष्टि से देखा जाता है।
उन्होंने कहा, “उनके प्रति सम्मानजनक नजरिया रखने से वे श्रम योगी से राष्ट्र योगी फिर राष्ट्र निर्माता बन जाएंगे। दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के विकास में ‘श्रमेव जयते’ ‘सत्यमेव जयते’ की तरह ही महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (आईटीआई) औद्योगिक प्रशिक्षण की प्राथमिक इकाई है लेकिन उसे उतना महत्व नहीं दिया जाता है।
मोदी ने कहा कि कुछ लोग जो अकादमिक रूप से अच्छे नहीं है, उनके पास इन क्षेत्रों में जाने की संभावना मौजूद है।
उन्होंने स्वयं सत्यापित दस्तावेज की दिशा में अपनी सरकार के कदम का उल्लेख करते हुए कहा कि लोगों में भरोसा करने की जरूरत है।
उन्होंने श्रम मंत्रालय के अपरेटिसशिप योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि कुशल श्रमिकों की जरूरत को पूरा करने में मदद करेगा।
इधर, श्रम मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि अप्रेंटिसेज एक्ट, 1961 को उद्योगों में अप्रेंटिस प्रशिक्षण के लिए बनाया गया था।
उन्होंने कहा कि इस नई योजना से इसे नया रूप मिलेगा और अगले साल अप्रेंटिस की संख्या करीब 20 लाख से अधिक करने का लक्ष्य है।
इस अवसर पर श्रम एवं रोजगार मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र, अनंत गीते और हर्षवर्धन मौजूद थे।