नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। वह मलयालम, कन्नड़, मराठी और हिंदी समेत कई भाषाओं में गा चुके हैं। बेनी दयाल केवल क्षेत्रीय मनोरंजन उद्योग में ही काम नहीं करना चाहते, बल्कि गायक और अभिनेता विभिन्न शैलियों में भी प्रयोग करना चाहते हैं। वह कहते हैं कि वह कोई भी चीज बलपूर्वक नहीं करना चाहते, बल्कि संगीत को सहजता से होने देना चाहते हैं।
नई दिल्ली, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। वह मलयालम, कन्नड़, मराठी और हिंदी समेत कई भाषाओं में गा चुके हैं। बेनी दयाल केवल क्षेत्रीय मनोरंजन उद्योग में ही काम नहीं करना चाहते, बल्कि गायक और अभिनेता विभिन्न शैलियों में भी प्रयोग करना चाहते हैं। वह कहते हैं कि वह कोई भी चीज बलपूर्वक नहीं करना चाहते, बल्कि संगीत को सहजता से होने देना चाहते हैं।
अभिनय के मैदान में भी हाथ आजमा चुके बेनी ने आईएएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “मैं कई शैलियों में प्रयोग करना चाहता हूं और यह आपके पास बिना आपके जाने समझे अपने आप आ जाता है। मैं कोई भी चीज बलपूर्वक नहीं करना चाहता, बल्कि संगीत को सहजता से होने देना चाहता हूं। किसी महान व्यक्ति ने एक बार कहा था, ‘संगीत की राह में कभी मत खड़े होना, अगर आप उसके लिए रास्ता बनाएंगे तो संगीत अपने आप आपके पास आ जाएगा’।”
बेनी से जब संगीत या विभिन्न उद्योगों में काम के तरीके के बीच फर्क के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मैं इसका जवाब नहीं दे सकता क्योंकि मैं उतना अनुभवी नहीं हूं।”
उन्होंने कहा, “मुझे अभी बहुत कुछ सीखना है। शायद अगले दस सालों के बाद मैं इस सवाल का जवाब दे पाऊं।”
दयाल ‘फॉक्स लाइफ’ की संगीत श्रृंखला ‘साउंड ट्रेक’ के तीसरे संस्करण का हिस्सा हैं।
संगीत श्रृंखला में अपने किरदार के बारे में उन्होंने कहा, “मुख्यतौर पर इसमें मेरा काम गीत को दोबारा लिखना और गाना था। जब मैं गाना लिख रहा था, तब मेरा ध्यान इसे केवल एक फिल्म का गीत बनाने पर नहीं था, बल्कि इसे एक स्वतंत्र गीत बनाने पर था जिसका फिल्म से कोई लेना-देना न हो। साथ ही मैं गीत के बोलों को एक कहानी की तरह लिखना चाहता था। हमने गीत की धुन में कोई बदलाव नहीं किया और मैंने अपने युकेलेले (हवाईयन गिटार) पर इसे फिर से रचा।”
बेनी दिवंगत गायक, अभिनेता किशोर कुमार को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं।
उन्होंने कहा, “किशोर कुमार बचपन से मेरे प्रेरणास्रोत रहे हैं। वह एक गायक से ज्यादा एक कथावाचक थे। इसलिए हमने ‘ओ मेरे दिल के चैन को चुना’ क्योंकि मैं जिस प्रकार से इसे रचना चाहता था, वह पहले से ही मेरे कानों में सुनाई देता था। फिर मैंने अपना युकेलेले उठाकर उसका नया संस्करण तैयार कर दिया।”
1970 के दशक से लेकर अब तक के संगीत के बारे में बेनी ने जोर देकर कहा कि आज भी संगीत प्रेमियों के दिल में उस दौर के संगीत के लिए जगह है।
दयाल ‘थलईवा’, ‘लेडीज वर्सिज रिकी बहल’, ‘कॉकटेल’, ‘2 स्टेट्स’, ‘हंसी तो फंसी’ और ‘बैंग बैंग’ जैसी कई फिल्मों को अपने संगीत से सजा चुके हैं।
उन्होंने कहा, “1970 के दशक का संगीत इतने सालों बाद भी संगीत प्रेमियों के मन में बसा है। इसलिए मैंने उसके संगीत से ज्यादा उसके बोलों के महत्व को बरकरार रखने पर ध्यान दिया।”
दयाल ने 2005 में मलयालम फिल्म ‘बाय द पीपुल’ के जरिए अभिनय के क्षेत्र में भी कदम रखा था।
अपने भविष्य के काम के बारे में ज्यादा खुलासा न करते हुए बेनी ने कहा, “मैं यह कह सकता हूं कि जहां तक संगीत और काम का सवाल है, 2016 मेरे लिए बेहद मजेदार होगा।”