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 मैंने यमराज को कोरोना पर सवार होते आते देखा है…. | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

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मैंने यमराज को कोरोना पर सवार होते आते देखा है….

May 3, 2020 10:36 am by: Category: सम्पादकीय Comments Off on मैंने यमराज को कोरोना पर सवार होते आते देखा है…. A+ / A-

वो शायद एक तारीख की दोपहर होगी जब मैं खबर की तलाश में कुछ दोस्तों के साथ पुलिस कंटोल रूम गया और एक सीएसपी के पास बैठकर एसएसपी का इंतजार करने लगा। वहां चाय आयी और हम सबने चाय पी। दो दिन बाद खबर आयी कि वो सीएसपी साहब कोरोना की चपेट में आ गये।ये खबर सुनते ही दिल बैठ सा गया। लगा कि ऐसा ना हो वहां से हम भी कोरोना लेकर घर आ गये हों। मेरा शक सही निकला तीन तारीख को हल्की सी हरारत बदन में हुयी पर ये क्या रात में बुखार भी आ गया। अब दिमाग में घंटी बजी और मैंने अपने परिवार को सारा किस्सा बताया और अपने को अलग कमरे में कैद कर लिया। अगले ही दिन जेपी अस्पताल में ढाई घंटे लाइन में लगकर कोरोना टेस्ट के लिये सेंपल भी दे आया और घर पर सतर्कता बरतने लगा। अकेले कमरे में सोना बच्चों और परिवार से दूर रहना खाना दरवाजे से नीचे से लेने लगा और भगवान के नाम के साथ ही इंतजार करने लगा टेस्ट की रिपोर्ट का। (#covid_19 bhopal journalist)
आठ तारीख को कमिश्नर मैडम का फोन आता है वो बतातीं हैं कि तुम्हारा कोरोना टेस्ट पोजिटिव आया है बताओ कहां भर्ती होना चाहोगे एम्स, बंसल या फिर चिरायू। मगर ये खबर सुनने को मैं तैयार था इसलिये फोन सुनते सुनते ही घर से नीचे आ गया और अगला फोन घर पर किया कि नीचे तीन कपडे रखकर मेरा बैग फेक दो मैं एडमिट होने अस्पताल जा रहा हूं। घर वाले हैरान परेशान मैंने कहा कोई सवाल नहीं करो जो कह रहा हूं करते जाओ और अगले एक घंटे बाद में बंसल अस्पताल के कमरे में था अकेला। खबर फैल गयी थी कि मुझे करोना हो गया है दोस्तों के सांत्वना भरे फोन आने लगे थे और मैं हंस कर जबाव दे रहा था मगर अंदर से तो डरा हुआ था कि जाने क्या कर बैठे ये बीमारी जिसका कोई इलाज ही नहीं है।
एक दो दिन बाद ही मैं बंसल अस्पताल से चिरायू अस्पताल आ गया था जो कोरोना के इलाज के लिये ही था। यहाँ मेरे जैसे तीन सौ मरीज थे कोरोना के। आते ही मुझे बडा सदमा मिला। पहली जांच में ही सामने आ गया कि मेरे फेंफडों तक कोरोना पहुंच गया है। आमतौर पर लोगों के गले तक ही ये वाइरस अटैक करता है मगर मेरे फेफडों तक ये प्रवेश कर गया था अब क्या होगा यही सवाल था मेरे सामने। डाक्टर ने सलाह दी घबडाओ नहीं बस खूब पानी पियो और चौबीस घंटे में से अठारह घंटे आक्सीजन लो। मरता क्या नहीं करता दिन भर में सात आठ बोतल पानी की पीता और पूरे वक्त आक्सीजन का मास्क नाक में लगाकर अपने घंटे गिनता। कोरोना वाइरस कार्बन मोनोक्साइड में पनपता है इसलिये आक्सीजन उसकी दुश्मन है तो पानी शरीर से सारी बीमारी और गंदगी को बाहर निकाल देता है। डाक्टर ने अठारह घंटे कहा मैं उन्नीस घंटे आक्सीजन लेता। मेरे बिस्तर के आसपास लगी मशीनों से मेरी पहचान हो गयी थी। नाक में आक्सीजन आक्सीमीटर से जाती थी तो पल्स मीटर से पल्स देखता। दिन भर किसी का ख्याल नहीं आता बस यही आक्सीजन के घंटे गिनता, खाना खाता और लेटा रहता। फोन पर बात करनी तकरीबन बंद ही थी। कभी कभार पापा से बात करता या फिर दोस्तों से पत्नी बहन और बच्चों से फोन पर बात बिलकुल बंद। उनसे बात करने में डर लगता था भावुक हो जाता था वो भी और मैं भी। बच्चे पूछते पापा कब आओगे तो आंसू आ जाते और गला भर आता। बिस्तर पर पडे पडे कमरे का एक एक इंच मेरी आंखों को याद हो गया था। दिन मुश्किल से कटता था तो रात तो और भारी होती थी कभी गायत्री मंत्री पढता तो कभी दूसरे श्लोक। निराशा लगातार घर करने लगी थी ऐसे में कभी अंधेरे में यमराज भी दिखते तो कभी ये लगता कि अब घर तो लौट ही नहीं पाउंगा। आसपास के मरीजों ने बता दिया था कि करोना में फेफडों में संक्रमण यानिकी निमोनिया का शुरूआती लक्षण और यही से कोरोना जानलेवा हो जाता है। हांलाकि अस्पताल के डाक्टर मेरा हमेशा हौसला बढाते मगर मेरा पत्रकार मन पूरे वक्त अपनी तबियत को लेकर सवाल ही उठाता रहता। मेरे सीटी स्केन की जब दूसरी रिपोर्ट आनी थी तो फिर रात भर नहीं सोया। जाने क्या लिखा आ जाये रिपोर्ट मंे।
शुक्र था भगवान का दूसरी रिपोर्ट में वाइरस फैलता नहीं दिखा। डा अजय गोयनका ने जब हौसला बढाया तब लगा कि अब ठीक हो जाउंगा। बस फिर क्या था अब अस्पताल में मेरा मन लगने लगा था। दोस्ती हो गयी थी बहुत सारे लोगांे से। मगर इंतजार था कब निकल पायेगे यहां से दिन लगातार गुजरते जा रहे थे। आम तौर पर सामान्य मरीज सात से आठ दिन में वापस चला जाता है मगर मुझे तो चौदह दिन होने को थे। बाहर मेरे मित्र और परिवार इंतजार कर रहे थे। खैर वो दिन भी आ गया पहले पहली रिपोर्ट निगेटिव आयी तो मैं खुश था मगर कुछ रायचंदों ने बताया कि पहली से कुछ नहीं बहुतों की दूसरी पाजिटिव आ जाती है इसलिये फिर दो दिन तक फिर दिल दिमाग पर तनाव रहा। और मेरी दूसरी रिपेार्ट की खबर मुझे नही मेरे खबरनवीसों दोस्तों को मुझसे पहले मिली कि वो भी निगेटिव आयी है। बस फिर क्या था वापसी की तैयारी की और एक वीडियो बनाया उन सबके लिये जो करोना से डरते हैं मेरा अनुभव यही कहता है कि बीमारी बडी नहीं है मगर इसका डर इससे बडा है इसलिये उस डर से पहले जीतना पडता है बीमारी से तो जीत ही जायेगे और मैंने जीतकर बताया। ( भोपाल के टीवी पत्रकार जुगल किशोर शर्मा की सच्ची कहानी )
ब्रजेश राजपूत,
एबीपी न्यूज
भोपाल की वाल से

मैंने यमराज को कोरोना पर सवार होते आते देखा है…. Reviewed by on . वो शायद एक तारीख की दोपहर होगी जब मैं खबर की तलाश में कुछ दोस्तों के साथ पुलिस कंटोल रूम गया और एक सीएसपी के पास बैठकर एसएसपी का इंतजार करने लगा। वहां चाय आयी औ वो शायद एक तारीख की दोपहर होगी जब मैं खबर की तलाश में कुछ दोस्तों के साथ पुलिस कंटोल रूम गया और एक सीएसपी के पास बैठकर एसएसपी का इंतजार करने लगा। वहां चाय आयी औ Rating: 0
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