निषाद ने कहा, “मुलायम जातिवाद की तुच्छ राजनीति करते हैं और साथ ही अतिपिछड़ा वर्ग के विरोधी हैं। उन्होंने अतिपिछड़ों को हर स्तर तक उपेक्षित कर काफी पीछे कर दिया है। सपा ने अतिपिछड़ों को सामाजिक-राजनीतिक अन्याय व अपमान का शिकार बनाया है।”
निषाद ने आरोप लगाया कि सपा ने बालू, मौरंग खनन जैसे निषाद मछुआरों के परम्परागत पेशों को गायत्री प्रसाद प्रजापति के माध्यम से माफियाओं के हाथों सौंप कर निषादों को बेकारी व भुखमरी की स्थिति में पहुंचा दिया है।
लौटन राम ने कहा, “सपा ने निषाद, लोधी, किसान, कुशवाहा, शाक्य, पाल, चौरसिया समाज को कैबिनेट में स्थान न देकर उनकी राजनीतिक उपेक्षा की है। अतिपिछड़ा वर्ग विधानसभा चुनाव में अपने अपमान का बदला लेगा।”
निषाद ने कहा, “राजनाथ सिंह की सरकार में जब सामाजिक न्याय समिति की रपट के आधार पर पिछड़े वर्ग का तीन श्रेणियों में विभाजन कर अतिपिछड़ों व अत्यन्त पिछड़ों को अलग-अलग आरक्षण की व्यवस्था की गई तो मुलायम ने विरोध में अपने 67 विधायकों का सामूहिक इस्तीफा दिलवा दिया था।”