भोपाल :
भारत की बाघ परियोजनाओं एवं अनेक संरक्षित क्षेत्रों में विगत् अनेक वर्षों से बाघों का संरक्षण किया जा रहा है। सभी बाघ लगभग एक जैसे ही होते हैं, किंतु संरक्षित क्षेत्रों के कुछ बाघ संरक्षणविदों, पर्यटकों, छायाचित्रकारों एवं संरक्षण उत्साहियों के बीच अत्यंत लोकप्रिय हो जाते हैं। मध्यप्रदेश के मंडला एवं बालाघाट जिलों में कान्हा टायगर रिजर्व का बाघ मुन्ना एक ऐसा ही उदाहरण है। यह बाघ विगत अनेक वर्षों से अपनी लोकप्रियता के शिखर पर है। इस प्रतिष्ठित प्रतीक (आयकॅन) को विभिन्न वर्गों के करोड़ों लोगों द्वारा सराहा गया है एवं इसके फोटो लिये गये हैं। मुन्ना के अनेक वीडियो भी बनाये गये हैं। यह इन्टरनेट पर छाया हुआ है।
मुन्ना का जन्म वर्ष 2002 में हुआ था। इसकी माँ को इन्द्री मादा बाघिन एवं पिता को लंगड़े बाघ के नाम से जाना जाता है। सामान्यतः कान्हा के अधिकारी एवं कर्मचारी किसी भी बाघ को कोई नाम नहीं देते हैं किंतु इस बाघ के प्रंशसक एवं प्रेमी पर्यटकों द्वारा इसे आरंभ से ही ”मुन्ना” नाम दे दिया गया था, जो लगातार प्रसिद्ध होता रहा।
मुन्ना बाघ का सबसे विख्यात आकर्षण इसके माथे पर चेहरे की काली धारियों द्वारा बना हुआ CAT (कैट) शब्द है। बाघ, बिल्ली प्रजाति के होते हैं एवं उन्हें कभी-कभी आम भाषा में कैट अथवा सुपर कैट भी कहा जाता है। वर्ष 2002 के जन्म के आधार पर आज मुन्ना बाघ की उम्र लगभग 17 वर्ष है, जो किसी भी जंगली बाघ के लिये अपने कुशल अस्तित्व कौशल का शानदार उदाहरण है। समान्यतः जंगल में बाघ की उम्र लगभग 10-12 वर्ष ही देखी गयी है।
विगत वर्षों में मुन्ना ने लगातार अपने सुंदर एवं बलवान शरीर, फुर्ती एवं चपलता तथा राजसी व्यवहार से करोड़ों प्रशंसक का दिल जीता है। इस दौरान इसने अपने वंश में भी काफी वृद्धि की है। पर्यटकों ने इसे विभिन्न अंदाजों एवं व्यवहारों में देखा है तथा कैमरे में कैद किया है। कान्हा में रोजाना सैकड़ों की संख्या में पर्यटक मुन्ना के दीदार का सपना लेकर आते हैंै।
धीरे-धीरे मुन्ना की उम्र बढ़ती गयी एवं उम्र के साथ ही उसके शरीर में विभिन्न प्राकृतिक दुर्बलताएँ भी आती रहीं। आज मुन्ना वृद्ध हो चुका है एवं अपनी उम्र एवं दुर्बलताओं से समझौता करते हुए अपनी जीवन शैली को भी परिवर्तित कर चुका है। अभी मुन्ना स्वस्थ है एवं सरल शिकार करता है। यह कभी-कभी बफर जोन में स्थित ग्रामों के मवेशियों का शिकार भी कर लेता है।