इस्लामाबाद, 15 नवंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान के एक समाचारपत्र ने रविवार को कहा कि मुंबई, पेशावर और पेरस में हुए आतंकवादी हमलों में भयानक समानताएं हैं।
समाचारपत्र ‘डॉन’ ने अपने संपादकीय में लिखा कि यह साबित करता है कि कट्टरपंथी आतंकवादी मुस्लिम, हिंदू, ईसाइयों और अन्य सभी को अपना दुश्मन समझते हैं।
संपादकीय में कहा गया है, “जिस प्रकार अल कायदा ने बिना किसी भेद के हत्याएं कीं, उसी तरह इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने भी किया।”
डॉन के मुताबिक, “पेरिस हमलों का आतंक शब्दों में बयां करना मुश्किल है।”
आईएस ने सामूहिक हत्याओं की जिम्मेदारी ली है और आगे भी अधिक तबाही मचाने की शपथ ली है।
संपादकीय के मुताबिक, “मुंबई हमलों और पेशावर के स्कूल हमले की तरह ही कुछ अपराध अपनी पिशाचता से दिमाग सुन्न कर देते हैं।”
आतंकवादियों ने नवंबर 2008 को पाकिस्तान के रास्ते मुंबई में घुसकर 166 भारतीयों और विदेशियों की हत्या कर दी थी और पेशावर के एक स्कूल में दिसंबर 2014 में 140 लोगों को आतंकवदियों ने मार दिया था, जिनमें ज्यादातर स्कूली छात्र थे।
डॉन ने लिखा कि 9/11 अल कायदा के खिलाफ लड़ाई के लिए निर्णायक मोड़ था और पेरिस हमला खुद को इस्लामिक स्टेट कहने वाले आतंकवादी संगठन के विरुद्ध लड़ाई के लिए निर्णायक मोड़ साबित होगा।
संपादकीय के मुताबिक, “अल कायदा सभ्य समाज के लिए खतरा था जैसे कि अब आईएस है।”
संपादकीय में कहा गया है कि हर मुस्लिम बहुल देश के पास आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व न करने के लिए कोई न कोई कारण है।
हालांकि इस्लामिक आतंकवाद शायद गैर मुस्लिम दुनिया के मुकाबले मुस्लिम दुनिया के लिए अधिक बड़ा खतरा है।
समाचारपत्र ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ ने एक अन्य संपादकीय में लिखा है, “पेरिस हमला आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के एक और चरण की शुरुआत करेगा।”