नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। देश के बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये कर्ज न चुकाकर ब्रिटेन में जा बैठे शराब कारोबारी विजय मल्या ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि वह ‘गिरफ्तार’ होने के लिए भारत नहीं आएंगे।
वहीं, शीर्ष न्यायालय ने माल्या, उनकी पत्नी और उनके बच्चों की समस्त विदेशी संपत्तियों का ब्योरा 13 बैंकों के कंसोर्टियम को दिए जाने का निर्देश दिया। इन बैंकों का माल्या की विफल हो चुकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस पर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है।
यह पूछे जाने पर कि माल्या की कब वापसी की योजना है, उनके वकील सी.ए. वैद्यनाथन ने न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन की खंडपीठ से कहा कि यदि उनके मुवक्किल वापस आएंगे, तो उन्हें पकड़कर तिहाड़ जेल ले जाया जाएगा और जब उनकी आजादी ही दांव पर लगी हो, तो उनसे वापस आने की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
इसके बाद खंडपीठ ने उन्हें मुहरबंद लिफाफे में सौंपे गए माल्या की संपत्ति के ब्यौरे बैंकों को दिए जाने का निर्देश दिया।
माल्या के वकील ने अदालत से कहा, “उनका पासपोर्ट रद्द हो चुका है। जैसे ही वह आएंगे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।”
अदालत ने सभी ब्योरा बैंकों को देने का निर्देश देते हुए कहा, “मूल बात यह है कि आपने हमारे सात अप्रैल के आदेश का अक्षरश: पालन नहीं किया। उस दिन से मंगलवार तक सात अप्रैल के आदेश की समीक्षा या संशोधन के लिए कोई याचिका दायर नहीं की गई।”
सात अप्रैल के आदेश में अदालत ने माल्या से कहा था कि बैंकों के कंसोर्टियम के साथ सार्थक वार्ता के लिए अपनी प्रामाणिकता सिद्ध करने के लिए वह बताएं कि वह अदालत में कितनी राशि जमा करना चाहते हैं। इसके साथ ही अदालत ने माल्या को अपनी, पत्नी और बच्चों की समस्त चल, अचल, वास्तविक, अवास्तविक, शेयरधारिता संपत्ति का ब्योरा देने का निर्देश दिया था।
बैंकों को कानून के मुताबिक दिए जाने वाले ब्योरे पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
माल्या ने कंसोर्टियम से सवाल किया कि वह बकाए की वसूली करना चाहते हैं या उन्हें जेल में भिजवाना चाहते हैं?
उन्होंने कहा कि निपटारा वार्ता की शुरुआत करने के लिए उनके पास पैसे रकम नहीं हैं, क्योंकि उनके सभी बैंक खातों पर रोक लगा दी गई है।
बैंकों ने अदालत से कहा कि यदि वह विभिन्न वित्तीय सौदों में फंसी राशि को जारी किए जाने का आदेश जारी कर दे, तो माल्या अपनी प्रामाणिकता सिद्ध करने के लिए अधिकांश राशि जमा कर सकते हैं। इस पर खंडपीठ ने बैंकों से सवाल दागा, “क्या आप अदालत से आपके रिकवरी एजेंट के रूप में काम करने की उम्मीद करते हैं?”
युनाइटेड ब्रुअरीज (होल्डिंग) लिमिटेड और किंगफिशर फिनवेस्ट (इंडिया) लिमिटेड की ओर से वरिष्ठ वकील पराग त्रिपाठी ने अदालत से कहा कि बैंक माल्या की विदेशी संपत्ति का ब्योरा देने का दबाव नहीं बना सकते हैं, क्योंकि आयकर अधिनियम के तहत इसकी मनाही है। त्रिपाठी ने कहा कि आईडीबीआई सहित बैंकों के ऋण को माल्या ने दुरुपयोग नहीं किया है।
त्रिपाठी ने अदालत से कहा कि माल्या, उनकी पत्नी और बच्चों की सभी विदेशी संपत्ति उन पैसों से खरीदी गई है, माल्या के पिता विट्ठल माल्या द्वारा स्थापित ट्रस्ट से उन्हें मिली थी।
महान्यायवादी मुकुल रोहतगी की मांग को देखते हुए अदालत को दिए गए ब्योरे की जानकारी दिए जाने का विरोध करते हुए त्रिपाठी ने कहा कि इन ब्योरों का उपयोग प्रवर्तन निदेशालय जांच शुरू करने में कर सकता है।
त्रिपाठी से कोई भी वादा करने से इन्कार करते हुए रोहतगी ने अदालत से अनुरोध किया कि माल्या को संपत्ति का पूरा ब्योरा देने के लिए कहा जाए, ताकि बैंक बकाए का निपटारा करने के लिए संपत्ति का मूल्यांकन कर सके।
माल्या के नहीं लौटने संबंधी वैद्यनाथन के बयान पर रोहतगी ने कहा, “देखते हैं कि हम क्या कर सकते हैं।”
वैद्यनाथन के इस बयान को दर्ज किए जाने के बाद कि माल्या द्वारा बैंकों को ऋण के लिए दी गई निजी गारंटी में माल्या, उनकी पत्नी और उनके बच्चों की विदेशी संपत्तियां शामिल नहीं हैं, रोहतगी ने अदालत से कहा कि उनके दावे को खारिज करने के उनके अधिकार को दर्ज किया जाए।
अदालत ने बैंकों को निर्देश दिया कि उन्हें उपलब्ध कराई जा रही सूचनाओं पर कानून के तहत कार्रवाई करें और साथ ही अदालत ने ऋण वसूली न्यायाधिकरण से भी कहा कि मामले को यथासंभव शीघ्र, ज्यादा से ज्यादा दो महीने में निपटाने की कोशिश करें।