Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 माधुरी शरण कचरे से गढ़ते हैं चाणक्य : विश्वामित्र | dharmpath.com

Tuesday , 26 November 2024

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » धर्मंपथ » माधुरी शरण कचरे से गढ़ते हैं चाणक्य : विश्वामित्र

माधुरी शरण कचरे से गढ़ते हैं चाणक्य : विश्वामित्र

लखनऊ, 8 जून (आईएएनएस)। आपने अब तक माटी की मूर्तियों को कचरे में पड़े देखा होगा, लेकिन अगर कोई एक शख्स कचरे में फेंके गए सामान से मूर्तियां बनाए और समाज को स्वच्छता और भक्ति का असली मतलब समझाए तो आप क्या कहेंगे? कहेंगे न वाह, क्या बात है!

लखनऊ, 8 जून (आईएएनएस)। आपने अब तक माटी की मूर्तियों को कचरे में पड़े देखा होगा, लेकिन अगर कोई एक शख्स कचरे में फेंके गए सामान से मूर्तियां बनाए और समाज को स्वच्छता और भक्ति का असली मतलब समझाए तो आप क्या कहेंगे? कहेंगे न वाह, क्या बात है!

अब हम धुन की पक्की एक ऐसी ही शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं। यह एक ऐसी सख्सियत है जो अपनी मेहनत से विश्वामित्र और चाणक्य सरीखे महापुरुषों की मूर्तियां कचरे से तैयार करने में जुटा है। इस नेक काम के बावजूद उसका कोई पूछनहार नहीं है।

हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के जनपद फतेहपुर के जहानाबाद कस्बे में रहने वाले माधुरी शरण मिश्र की, जो शिक्षा के पावन क्षेत्र से निवृत्त होने के बाद समाज को एक नई दिशा देने के लिए प्रयासरत हैं।

थर्मोकोल, गत्ते और बोतलों से बनाते हैं मूर्तियां :

घर के कचरे और अपशिष्ट पदार्थो से मूर्तियां बनाकर माधुरी शरण मिश्र समाज को स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं। खराब थर्मोकोल, तंबाकू पान मसाले की डिब्बियों के ढक्कन, गत्ता, प्लास्टिक की बोतले सड़ा भूसा और मिट्टी के प्रयोग से यह मूर्तियां को तैयार करते हैं। अभी तक यह लगभग 100 से ज्यादा मूर्तियों को तैयार कर चुके हैं। हलांकि इन मूर्तियों को बेच नहीं रहे हैं, लोग ऐसे ही मांग कर ले जा रहे हैं और अपने घर की शोभा बढ़ा रहे हैं।

पेंटिंग और कविता पाठ में भी पारंगत माधुरी शरण मिश्र शिक्षण कार्य से निवृत्त होने के बाद इसी कार्य में निरंतर लगे रहते हैं। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के जहानाबाद कस्बे में रहने वाले माधुरी शरण वैसे तो कई कलाओं में परांगत हैं। वह वॉल पेंटिंग के अलावा जिले स्तर के बहुत अच्छे कवि भी कई बार प्रदेश के मंचों पर कविता पाठ के लिए जाते हैं। लेकिन उनकी यह विधा समाज में आ रही नई पौध को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

उनके यहां मूर्तियों को सीखने के लिए कुछ बच्चे भी आते हैं, जो इसे बड़े ध्यान से देखते हैं और बाद में उसे बनाते हैं। उन्होंने अभी तक लगभग 25 से अधिक लोगों को इस विधा से परांगत किया है। लेकिन धनाभाव के कारण यह प्रतिभा एक छोटे से कस्बे तक ही सीमित रह गई है।

समय के सदुपयोग से समाज को मिल रही दिशा :

माधुरी शरण ने बताया कि सेवानिवृत्ति के बाद समय बेकार जा रहा था। समय का सदुपयोग करने के लिए उन्होंने इसकी शुरुआत की। इसके साथ ही स्वच्छता अभियान में हिस्सेदारी के लिए भी उन्होंने यह कार्य शुरू किया है।

उन्होंने कहा, “हमने वे मूर्तियां बनाई हैं, जिनकी चर्चा पाठ्य-पुस्तकों में नहीं होती या कम होती है। वर्तमान पीढ़ियों को इससे अवगत कराना भी जरूरी है। चाणक्य से लेकर विश्वामित्र, कबीर, तुलसीदास जैसे अनेक महापुरुषों की मूर्तियां बनाई गई है। एक मूर्ति को बनाने में पांच रुपये का खर्च है। इसमें सिर्फ बजार का रंग लगाते हैं। बाकी घर में फेंके गए कूड़े का ही उपयोग करते हैं।”

माधुरी शरण ने कहा, “इसके अलावा इन मूर्तियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश भी दिया जाता है। इसमें हमारे गली-कूचों के साथ मानसिक गंदगी को साफ करने का भी संदेश छुपा है। राजनीति में भ्रष्टाचारी लोग आ गए हैं, इनको हटाने का संदेश देने की कोशिश रहती है।”

प्रधानमंत्री मोदी से कौशल विकास केंद्र की मांग :

माधुरी शरण मिश्र ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई कौशल विकास की मुहिम बेहद सराहनीय है। वह अपनी मूर्तिकला का कौशल नवीन पीढ़ी को सिखाना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, “संसाधनों के अभाव में इन मूर्तियों की प्रदर्शनी नहीं लगा पा रहा हूं। मेरी इच्छा है कि कौशल विकास योजना के अंतर्गत एक विकास केंद्र मिले, जिसके माध्यम से यह कला वह अन्य लोगों को सिखा सकूं। इसके लिए मेरा प्रयास अनवरत जारी रहेगा।”

माधुरी शरण कचरे से गढ़ते हैं चाणक्य : विश्वामित्र Reviewed by on . लखनऊ, 8 जून (आईएएनएस)। आपने अब तक माटी की मूर्तियों को कचरे में पड़े देखा होगा, लेकिन अगर कोई एक शख्स कचरे में फेंके गए सामान से मूर्तियां बनाए और समाज को स्वच् लखनऊ, 8 जून (आईएएनएस)। आपने अब तक माटी की मूर्तियों को कचरे में पड़े देखा होगा, लेकिन अगर कोई एक शख्स कचरे में फेंके गए सामान से मूर्तियां बनाए और समाज को स्वच् Rating:
scroll to top