चैत्र मास शुक्लपक्ष प्रतिप्रदा से रामनवमी तक मां के नौ स्वरूपों की आराधना होती है। भगवती की उपासना से धन, वैभव, सुख, शांति की प्राप्ति होती है।
दुर्गा आराधना का महत्व–
शक्ति की देवी दुर्गा की आराधना का अपना महत्व है। कर्मकांडी यज्ञाचार्य इंद्रपाल त्रिपाठी के अनुसार महाभारत काल में भी मां दुर्गा को पूज्य माना गया है। कृष्ण ने अर्जुन से दुर्गा स्त्रोत का पाठ कराया था। राम ने रावण पर विजय पाने के लिये शक्ति की पूजा की थी। शक्तिमान बनने के लिये शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की उपासना करना आवश्यक है। नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का विधि पूर्वक पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस बार बासंती नवरात्र 11 से 19 अप्रैल तक होंगे।
नवरात्र में पूजन की विधि-
बासंती नवरात्र का पर्व स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी है। मां दुर्गा की पूजा में कलश स्थापना प्रथम विधि है। इसमें शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा को प्रात: जल से भरे कलश को जौ मिली मिट्टी या बालू के ऊपर रख दो सुपाड़ी पर लाल धागा लपेट गणेश गौरी की स्थापना कर विधि विधान से पूजन करें। मां दुर्गा के पूजन में जलते उपले पर लौंग, कपूर, हवन सामग्री, बताशे, सिंदूर आदि से अज्ञारी लगाकर आराधना करने की विधि है। पूजन के साथ दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करने से माता प्रसन्न होती है।
स्वास्थ्य का रखें ख्याल-
नवरात्र में मां भगवती के उपासक व्रत रखते हैं। कोई फलाहार, कोई निराहार तो कोई जल पीकर व्रत रखता है। कुछ निर्जला व्रत भी रखते हैं। निराहार और निर्जला व्रत हानिकारक भी हो सकता है। आयुर्वेद विशेषज्ञ वैद्य संजीव मिश्र के अनुसार व्रत के दौरान हल्का खाना खायें या फलों के जूस का सेवन करें। व्रत में आलू न खायें। सलाद, दूध, दही, पनीर लें। मधुमेह, थायराइड व असाध्य रोगों से पीडि़त व गर्भवती महिलायें व्रत न रखें।
नवरात्र पूजन की तैयारियां-
हिंदू परंपरा के अनुसार नवरात्रों में प्रतिप्रदा से नवमी तक नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। सिद्ध शक्तिपीठ मां शीतला मंदिर सहित नगर के सभी देवी मंदिरों की सजावट की तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। मां के श्रृंगार के लिए लाल चुनरी, लहंगा, श्रृंगार की सभी सामग्री धूप, दीप की खरीददारी चल रही है। शीतला देवी मंदिर परिसर में मां के श्रृंगार वस्त्र, आभूषण एवं प्रसाद की दुकानें सज गई हैं।