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 माँ – लौकिक एवं अलौकिक स्वरूप | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

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माँ – लौकिक एवं अलौकिक स्वरूप

April 8, 2016 1:43 pm by: Category: धर्म-अध्यात्म Comments Off on माँ – लौकिक एवं अलौकिक स्वरूप A+ / A-

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(धर्मपथ)- नवरात्र का पर्व शक्ति आराधना का समय .शक्ति की माँ स्वरूप में आराधना सर्वमान्य है.सहज है .श्रद्धा निहित है.पाठकों को इस पावन सत्र में इस धरा की धरोहर अघोरेश्वर अवधूत भगवान् राम जी की वाणियाँ आप के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ .उनसे निवेदन है उनकी वाणियो को मानव-कल्याण हेतु प्रस्तुत करने में सहायक रहूँ -अकिंचन

   माँ

माता से सम्बंधित है – उस विशिष्ट नारी जाति,निद्रारूपेण(निशा) से,जिसके कृपा-कटाक्ष से सारी पृथ्वी के प्राणी (पुरुष मात्र) मोहित हैं,पुरुष जाति मात्र में जो दुर्बलता है,उसे वह भली-भांति जानती है.इस पुस्तक का उद्धार करने वाली संस्था,श्री सर्वेश्वरी समूह नारी की गरिमा को उजागर करती है.हम एक बात आप लोगों से कह देना चाहते हैं,शैव अवधूत,शाक्त अवधूत,चाहे वैष्णों अवधूत हों,सभी की अधिष्ठात्री देवी शक्ति ही हैं.अघोरेश्वर के बोलचाल की भाषा ,जिसे हम कहेंगे बातचीत करना ,वाणियों में,वह वाणी इसमें है.शब्दमयी को मैं प्रणाम करता हूँ.

यदि सच पूछो की सबसे सहज क्या है तो मैं कहूँगा की वह जननी ही है .पिता या परिवार तो सर्वाधिक कठोरता के प्रतीक हैं.

हे प्राणी, जीवन क्षणभंगुर है.अतः सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली माँ की आराधना कर ,जिससे अपना मंगल करोगे और अन्य को भी सत्कर्म में लगा सकोगे.

माँ मन समेत सभी इन्द्रियों की अधिष्ठात्री देवता हैं.वे हमारे अत्यंत निकट है .हमारी परम सुह्रद एवं प्रिय हैं.

यह रात्रि(निशा) ही माँ का स्वरूप हैं जिसकी अंधियारी में से प्रकाश के दर्शन होते हैं .माँ रात्रि रूप हैं और सभी जीवों को अपनी गोद में लेकर सुलाती हैं और उन्हें नव-चेतना प्रदान करती हैं .निशा हैं.उनके आते ही सब दीप जल उठते हैं .उषा उद्यमशील बनाती है.मनुष्य ही नहीं,संसार के सभी थके प्राणियों को नवचेतना निशा देती है.

भगवती को चारों दिशाओं में प्रणाम करें.दिशा स्वरूप भी तो वही हैं.

जो बिलकुल अज्ञात है,उसे ज्ञात करना ही तो ललिता देवी की उपासना है.खोजा तो उसे जाता है जो अपना नहीं है.पाया उसे जाता है जो अपना है.

माँ – लौकिक एवं अलौकिक स्वरूप Reviewed by on . [box type="info"](धर्मपथ)- नवरात्र का पर्व शक्ति आराधना का समय .शक्ति की माँ स्वरूप में आराधना सर्वमान्य है.सहज है .श्रद्धा निहित है.पाठकों को इस पावन सत्र में [box type="info"](धर्मपथ)- नवरात्र का पर्व शक्ति आराधना का समय .शक्ति की माँ स्वरूप में आराधना सर्वमान्य है.सहज है .श्रद्धा निहित है.पाठकों को इस पावन सत्र में Rating: 0
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