अनिल सिंह(भोपाल)— आज भाजपा महिला मोर्चे का सम्मलेन था भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में,क्या दावे किये,क्या हुआ,किसने दिल से किया,किसने अवसरवादी रोटी सेंकने की जुगत की हम आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं पूरी घटना पत्रकार की दृष्टि से —–
क्या दावा किया था महिला मोर्चे ने
दावा किया गया था की पचास हजार महिला कार्यकर्ता इस सम्मेलन में शामिल होंगी,यह घोषणा महिला कार्यकर्ताओं का काम करने और सम्मेलन के प्रति सफलता की प्रतिबद्धता दिखाती है।
कितनी महिला कार्यकर्ता आयीं
महिलाओं का वह भी भारतीय संस्कृति की का घर की जिम्मेदारियों से निकलना बहुत मुश्किल होता है फिर भी भाजपा की महिला मोर्चे की कर्मठ अग्रणी कार्यकर्ताओं ने लगभग बीस हजार की संख्या में कार्यकर्ताओं को आकर्षित किया जो अपनी जिम्मेदारियों को छोड़ भाजपा के बैनर तले एकत्रित हुईं।कार्यक्रम ख़त्म होते समय भी कार्यकर्ताओं का हुजूम निरंतर चला आ रहा था।
सुबह से भूखी प्यासी महिलाओं को देशभक्ति गीतों से बहलाया गया
महिलाओं के दल सुबह से पांडाल में आ गए थे,माता-बहने दूर से यात्रा कर आई थी और निद्रा एवं थकान से चूर थीं लेकिन उन्हें इंतजार करना था अपने लाडले मामा का,भाई का जो देर से आया और भावनात्मक भ्रमित दुलार खिला-पिला दिया।
प्रदेश महिला अध्यक्ष ने खूब जबरजस्त जोश दिखाया
भाजपा प्रदेश अपनी अध्यक्षता में इस प्रथम विशाल कार्यक्रम से इतना उत्साहित थीं कि अपना भाषण भाजपा के एक प्रखर वक्ता और कार्यकर्ता से लिखवा कर लायीं थीं लेकिन चूंकि भाव विहीन थीं इस लिए भाषण कम नौटंकी ज्यादा लग रहा था।
मंच पर आवाजाही कर शार्ट कट से नेतागिरी चमकाने वाले नेता भी थे
सुरजीत सिंह चौहान जो मुख्यमंत्री के भाई हैं भीड़ को दिखा रहे थे की उनकी कितनी पकड़ है,मीडिया प्रभारी हितेष बाजपेई मंच से VIP गेट तक ही अपनी मीडिया की जिम्मेदारी दिखा रहे थे,मीडिया वालों से उन्हें कोई मतलब नहीं था उनका आना जाना मात्र रेड-कारपेट तक ही सीमित था क्योंकि उनके अभिन्न एक -दो दोस्त आये नहीं थे अतः उन्होंने अपने आप को मात्र VIP तक ही सीमित रखा क्योंकि टिकट वहीँ से तय होगा हाँ सह-मीडिया प्रभारी संजय खोचे जरूर पत्रकारों और सहकर्मियों की चिंता करते नजर आये उन्हें पानी,चाय,भोजन और मधुर स्वर और मुस्कान के साथ पूछते हुए।
आलोक शर्मा भी अपनी कोशिशों को जारी रखे थे
आलोक शर्मा अपने ही भाई विश्वास सारंग की सीट पर नजर गडाए हुए है,उत्तर से वे लड़ना नहीं चाहते और विश्वास की सीट उन्हें आसान शिकार लग रही है ,भैया राजनीति है क्या करें।
माताएं अपनी परेशानियाँ लिखित में लायीं थीं लेकिन कोई लेने वाला नहीं था
कई माता-बहनें इस आशा में आई थीं की उनकी परेशानियाँ सुनने वाला कोई होगा,मामा को अपनी व्यथा सुना पाएंगी लेकिन कहती सुनी गयीं की चन्दा की तरह मामा भी बहुत दूर है।ज्यादा आवेदन राशन,बिजली,दवा और शौचालय को लेकर थे।
मंच नया ,कैसेट पुराना
मंच था महिला मोर्चा का और वंदना की जा रही थी शिवराज सिंह चौहान की,वही पुराने राग,उन्ही योजनाओं का गुणगान और अपने आत्मविश्वास को भीड़ देख कर बढाने का दंभ।
मामा बोले 24 में से 19 घंटे काम करता हूँ
सही कहा मामा ने लेकिन जो समय वे दौरों में लगाते हैं वही समय यदि घोषित की गयी योजनाओं को क्रियान्वित करने में लगवाते,अधिकारीयों को अपने मंत्रियों को समझ उनसे काम करवाते तब प्रदेश की स्थिति कुछ और ही होती।
बहरहाल बधाई हो उन महिला मोर्चा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को जिन्होंने पुरुषों के बराबर अपने कार्यक्रम को आयोजित कर दिखाया,इनके प्रबंधन की तारीफ़ करनी होगी मातृशक्ति के इस प्रयास की।