नई दिल्ली, 17 दिसम्बर – अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) ने बुधवार को इंचियोन एशियाई खेलों के दौरान कांस्य पदक लेने से इनकार करने वाली भारतीय महिला मुक्केबाज सरिता देवी पर एक वर्ष का प्रतिबंध और 1,000 स्विस फ्रैंक का जुर्माना लगाया है। भारत सरकार ने हालांकि सरिता पर लगे प्रतिबंध पर चिंता वयक्त करते हुए प्रतिबंध पर पुनर्विचार की मांग करने की बात कही है। एआईबीए ने 29 वर्षीय सरिता के पति थोइबा सिंह और कोच बी. आई. फर्नाडीज पर भी दो साल का प्रतिबंध लगाया है, जिसकी समयसीमा एक अक्टूबर, 2016 को खत्म होगी।
साथ ही सरिता के कोच लेनिन मिथेई पर भी एक साल का प्रतिबंध लगाया गया है, जो अगले साल एक अक्टूबर को खत्म होगा। फर्नाडीज पर 2,000 स्विस फ्रैंक और मिथेई पर 1,000 स्विस फ्रैंक का जुर्माना भी लगाया गया है।
एआईबीए की विज्ञप्ति के अनुसार सरिता पर भी 1,000 स्विस फ्रैंक का जुर्माना लगा है लेकिन इतनी राशि पहले ही अदा की जा चुकी है।
एआईबीए ने हालांकि मुख्य कोच जी. एस. संधू को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है।
प्रतिबंध के अनुसार सरिता अगले साल अक्टूबर तक किसी टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले सकेंगी, हालांकि वह 2016 में होने वाले रियो ओलम्पिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर सकेंगी।
एआईबीए के फैसले पर सरिता ने कहा, “मैं अब चिंतामुक्त हूं और बॉक्सिंग इंडिया (बीआई) सहित समस्त लोगों को धन्यवाद देती हूं जिन्होंने इस कठिन घड़ी में मेरा साथ दिया। मैं अब ओलम्पिक में हिस्सा ले सकती हूं। ऐसे में मैं और कड़ी मेहनत करूंगी।”
दूसरी ओर भारत सरकार ने एआईबीए के इस फैसले पर चिता जताते हुए कहा है कि इससे सरिता का मनोबल टूट सकता है।
खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा, “सरिता देवी के करियर के इस अहम मोड़ पर एक वर्ष का प्रतिबंध मनोबल तोड़ने वाला साबित हो सकता है, जिससे उनके प्रदर्शन में निरंतरता प्रभावित हो सकती है। यह भारत में मुक्केबाजी के प्रचार-प्रसार को भी प्रभावित करने वाला है।”
साथ ही सोनोवाल ने कहा कि सरकार इस मामले को आगे बढ़ाना जारी रखेगी।
उल्लेखनीय है कि एशियाई खेलों की मुक्केबाजी स्पर्धा के महिला लाइटवेट वर्ग के विवादास्पद सेमीफाइनल मैच में हार के बाद पदक वितरण समारोह के दौरान सरिता ने कांस्य पदक लेने से इनकार कर दिया था।
एआईबीए के फैसले पर बीआई के अध्यक्ष संदीप जाजोडिया ने कहा, “यह फैसला हमारे, समस्य मुक्केबाजी जगत और सरिता के प्रशंसकों के लिए राहत पहुंचाने वाला है।”
संदीप के अनुसार, “सरिता के आचरण और खेल के प्रति उनकी मेहनत को देखते हुए यह सजा भविष्य में कम भी की जा सकती है। हम एआईबीए से लगातार बात करते हुए उनसे यह सजा और कम कराने की कोशिश करेंगे। साथ ही सरिता को भी ओलम्पिक की तैयारियों में जुटने के लिए प्रेरित करेंगे।”