न्यूयॉर्क, 30 जनवरी (आईएएनएस)। पुरुषों और महिलाओं पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की तस्वीरों को अधिकतर और काफी लंबे समय तक देखा जाता है। पुरुषों और महिलाओं के मिले-जुले समूह में भी महिलाओं की तस्वीरों को अधिक बार देखा जाता है।
सिनसिनाटी विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान कार्यक्रम की शोध छात्रा मेरी जेन अमॉन के मुताबिक, “हमें इस अध्ययन में पता चला कि महिलाओं की तस्वीरों को अधिक देखा गया है। महिलाओं की तस्वीरों को सबसे पहले और सबसे अंत में भी देखा गया। सबसे अधिक अवधि तक महिलाओं की तस्वीरों को ही देखा गया। पुरुषों और महिलाओं दोनों दर्शकों में समान स्थिति थी।”
अमॉन ने कहा कि इस अध्ययन से वस्तु सिद्धांत का पता चलता है कि महिलाओं को अक्सर अपनी शारीरिक संरचना के आधार पर मूल्यांकित किया जाता है।
इसे अक्सर कामुकता से भी जोड़ा जाता है और यहां तक कि महिलाओं के सिर्फ शारीरिक अंगों को ही देखा जाता है। इस वजह से कई बार नकारात्मक परिणाम भी भुगतने पड़ते हैं।
उदाहरण के लिए छोटी अवधि के प्रभावों में आत्मविश्वास में गिरावट और मस्तिष्क की सक्रियता में कमी शामिल है।
वास्तव में महिलाओं के लिए लंबी अवधि के प्रभाव ज्यादा मुश्किल हैं।
अमॉन के मुताबिक महिलाएं स्वयं को शारीरिक संचरना के संदर्भ में मूल्यांकन शुरू कर देती हैं।
इस अध्ययन के लिए भागीदारों को दो समूहों में बांटा गया।
पहले समूह में 100 कॉलेज छात्र और छात्राएं शामिल थे। इनमें 50 महिलाएं और 50 पुरुष छात्र थे। उनकी सफेद पृष्ठभूमि के सामने चित्र शैली में तस्वीर खींची गई।
दूसरे समूह में 76 कॉलेज छात्र शामिल थे, जिन्हें बताया गया कि उन्हें दृश्य उत्तेजना से जुड़ी जांच पर मनौवैज्ञानिक प्रतिक्रिया देनी होगी। इस संदर्भ में उन्हें लोगों, कला, प्राकृतिक दृश्यों, जानवरों और कार्टूनों की तस्वीरें दिखाई जाएंगी।
इसके बाद दर्शक समूह को तस्वीरें देखने के लिए कंप्यूटर मॉनीटर के सामने बैठा दिया गया।
तस्वीरें देखते समय शोध में शामिल उम्मीदवारों की नजरों की गतिविधियों को मापने और रिकॉर्ड करने के लिए नेत्र मापक डिवाइस का उपयोग किया गया, जिसके बारे में उम्मीदवारों को जानकारी नहीं दी गई थी।
यह शोध मनोविज्ञान पत्रिका फ्रंटियर में प्रकाशित हुई है।