नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को महाराष्ट्र में डांस बार पर लगी रोक को सशर्त हटाने का फैसला सुनाया। राज्य के होटल-रेस्तरां के मालिकों में इससे खुशी की लहर दौड़ी लेकिन महाराष्ट्र सरकार के रवैये से साफ हो गया है कि वह कभी मुंबई की नाइट लाइफ की जान माने जाने वाले इन डांस बार को फिर से खोलने की इजाजत देने के लिए तैयार नहीं है।
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को महाराष्ट्र में डांस बार पर लगी रोक को सशर्त हटाने का फैसला सुनाया। राज्य के होटल-रेस्तरां के मालिकों में इससे खुशी की लहर दौड़ी लेकिन महाराष्ट्र सरकार के रवैये से साफ हो गया है कि वह कभी मुंबई की नाइट लाइफ की जान माने जाने वाले इन डांस बार को फिर से खोलने की इजाजत देने के लिए तैयार नहीं है।
साल 2013 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिबंध हटाए जाने के बाद 2014 में महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम में दोबारा इसे लागू करने के सम्बंध में नया प्रावधान लाया गया था।
शीर्ष अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी. पंत की खंडपीठ ने कहा कि डांस बार पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित ‘इस अधिनियम पर रोक लगाना उचित है।’
अदालत ने हालांकि यह साफ किया कि डांस बार में अश्लीलता परोसने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार डांस बार पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने के पक्ष में है।
उन्होंने मीडिया से कहा, “अभी हमें (अदालत के) आदेश की कॉपी नहीं मिली है..हमने एक हलफनामा दिया है जिसमें हमने डांस बार पर पूरी तरह रोक लगाने का समर्थन किया है।”
द इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन (एएचएआर) ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और कहा कि 10 साल बाद इंसाफ हुआ है।
डांस बार पर रोक 2005 में लगाई गई थी।
एएचएआर के अध्यक्ष आदर्श शेट्टी ने आईएएनएस से कहा, “हम जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी डांस बार शुरू करना चाहते हैं। फैसले की कॉपी मिलने के बाद हम मुख्यमंत्री से इस पर बात करेंगे।”
उन्होंने कहा कि प्रशासन को डांस बार को एक सामाजिक बुराई नहीं बल्कि पर्यटकों को आकर्षित करने के माध्यम के रूप में देखना चाहिए।
शेट्टी ने कहा, “बैंकाक, शंघाई या इस्तांबुल की गुलजार नाइट लाइफ को देखिए। मुंबई के पास पर्यटकों के लिए क्या है, सिवाय कुछ घूमने की जगहों और खाने के?”
कांग्रेस नेता राधाकृष्ण विखे-पाटील ने सरकार से आग्रह किया कि वह डांस बार पर रोक के लिए अध्यादेश लाए और मौजूदा कानून की खामियों को दूर करे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस-एनसीपी की सरकार ने 2005 में डांस बार पर रोक लगा दी थी क्योंकि ये सामाजिक बुराई का प्रतीक थे। सरकार के फैसले का व्यापक रूप से स्वागत हुआ था।
2005 में सरकार ने मुंबई डांस बार पर रोक लगाई थी। देखते ही देखते इस रोक की चपेट में ठाणे, नवी मुंबई, पुणे, रायगढ़ के डांस बार भी आ गए। इस रोक की वजह से करीब 6 लाख महिलाएं बेरोजगार हो गई थीं।