नई दिल्ली/कानपुर, 17 अप्रैल (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसरत आलम को फिर से जेल भेजा जाएगा और देशद्रोह के आरोपियों को माफ नहीं किया जाएगा।
राजनाथ से कानपुर में पूछा गया कि क्या उसे जेल भेजा जाएगा, उन्होंने कहा, “हां उसे जेल भेजा जाएगा। देखिए और इंतजार कीजिए क्या होता है।”
उन्होंने कहा, “हम देश को इस बात से आश्वस्त करना चाहते हैं कि सरकार देश की एकता व अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। देशद्रोहियों को माफ नहीं किया जाएगा।”
मसरत ने 15 अप्रैल को वरिष्ठ अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के लिए एक जनसभा का नेतृत्व किया था, जो स्वास्थ्य कारणों से तीन माह दिल्ली में गुजारने के बाद मंगलवार को कश्मीर घाटी लौटे।
मसरत को चारों तरफ से घेरे उसके समर्थकों ने न सिर्फ पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाए, बल्कि उन्होंने पाकिस्तान का झंडा भी फहराया। यहां तक कि उन्होंने मीडिया को दिखाने के लिए इलाके के पुलिस मुख्यालय की बाहरी दीवार पर पाकिस्तान का झंडा तक गाड़ दिया।
जम्मू एवं कश्मीर के बडगाम जिले में गुरुवार रात नजरबंद किए गए मसरत फिलहाल पुलिस हिरासत में है, जिसके खिलाफ जनसभा के दौरान पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाने और पाकिस्तानी झंडा लहराने की शिकायत दर्ज कराई गई है।
सैयद अली शाह गिलानी को भी नजरबंद किया गया है।
यह पूछे जाने पर कि जनसभा की मंजूरी क्यों दी गई, सिंह ने कहा, “शायद राज्य सरकार को अंदेशा नहीं था कि हालात इस कदर बिगड़ जाएंगे।”
मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार आतंकवादियों व अलगाववादियों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में सरकार के अस्तित्व को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कभी दबाव में नहीं आएगी।
भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा कि जो कोई भी देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।
इसी बीच, कांग्रेस ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर सरकार को मसरत पर नजर रखनी चाहिए थी।
कांग्रेस महासचिव शकील अहमद ने नई दिल्ली में कहा, “भाजपा-पीडीपी सरकार ने मसरत के खिलाफ कार्रवाई मीडिया के चिल्लाने के बाद की।”
जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने सात मार्च को चार सालों से अधिक समय के बाद एहतियातन हिरासत (प्रीवेंटिव डिटेंशन) से रिहा किया था।
साल 2010 में मसरत की गिरफ्तारी को सुरक्षा बलों व खुफिया एजेंसियों ने एक बड़ी सफलता मानी थी, जिसने घाटी में एक खूनी आंदोलन का सूत्रपात किया था, जिसकी वजह से सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प में 112 युवक मारे गए थे।