नई दिल्ली, 14 मई (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मीम के लिए गिरफ्तार भाजपा युवा मोर्चा की नेता प्रियंका शर्मा को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और संजीव खन्ना की अवकाश पीठ ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तब समाप्त हो जाती है जब यह दूसरों के अधिकार का उल्लंघन करता है। पीठ ने कहा कि शर्मा को ममता की फोटोशॉप्ड फोटो पोस्ट करने के लिए जेल से रिहा होने के बाद लिखित माफी मांगनी चाहिए।
पीठ ने देखा कि प्रियंका शर्मा एक आम महिला नहीं हैं, बल्कि वह एक राजनीतिक पार्टी की सदस्य हैं, इसलिए इस तरह की फोटो को पोस्ट करने का मतलब अन्य सामान्य लोगों द्वारा फोटो शेयर करने से अलग है।
अदालत ने कहा, “प्रियंका को हालांकि रिहाई के वक्त अपने फेसबुक खाते से फोटो डालने/शेयर करने के लिए लिखित में माफी मांगनी चाहिए।”
प्रियंका शर्मा के वकील नीरज किशन कौल ने अदालत द्वारा माफी मांगने के आदेश का विरोध किया।
उन्होंने कहा, “प्रियंका ने मीम नहीं बनाया है, तो क्या शेयर करना ही गिरफ्तारी के लिए काफी है?..यह एक तरह का व्यंग चित्र है, एक प्रकार का राजनीति व्यंग है। इससे गलत ट्रेंड स्थापित होगा।”
पीठ ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन आपकी अभिव्यक्ति की आजादी वहीं खत्म हो जाती है, जब आप दूसरे के अधिकारों का हनन करते हैं।
शुरुआत में, अदालत ने प्रियंका को माफी मांगने की शर्त पर जमानत देने के आदेश दिए थे।
प्रियंका के वकील कौल ने जोर देकर कहा कि माफी मांगने से अभिव्यक्ति की आजादी पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
अदालत ने बाद में अपने आदेश में परिवर्तन करते हुए कहा कि रिहाई के बाद उन्हें माफी मांगनी होगी।
अदालत ने कहा, “यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि इस आदेश को विशेष तथ्यों और परिस्थतियों को ध्यान में रखकर दिया जा रहा है और इस मामले को एक उदाहरण के तौर पर नहीं माना जाएगा।”
भारतीय जनता पार्टी की नेता पर प्रियंका चोपड़ा के मेटगाला लुक वाली तस्वीर पर फोटाशॉप की गई पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तस्वीर सोशल मीडिया में शेयर करने का आरोप था।
प्रियंका शर्मा को एक तृणमूल कांग्रेस नेता की शिकायत पर 10 मई को गिरफ्तार किया गया था।
अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार से भी इस बाबत जवाब मांगा और मामले की अगली सुनवाई अवकाश के बाद होनी मुकर्रर कर दी।