भोपाल, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत लोगों को तय सीमा के भीतर सेवा नहीं मुहैया कराने के मामले में 10 अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है, जबकि एक पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
आधिकारिक तौर पर शनिवार को दी गई जानकारी में बताया गया कि बालाघाट जिले के 10 अधिकारियों ने आवेदकों द्वारा चाही गई सुविधा मुहैया कराने में लापरवाही बरती। इस वजह से उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
इन अधिकारियों में किरनापुर के तहसीलदार एस़ आऱ वर्मा, तिरोड़ी के तहसीलदार रायसिंह कुशराम, विद्युत मंडल तिरोड़ी के कनिष्ठ अभियंता (जूनियर इंजीनियर) राम स्वरूप धामडे, कटंगी के तहसीलदार कुशराम, जनपद पंचायत किरनापुर के सी.ई.ओ. रंजीत सिंह ताराम, नगर पंचायत कटंगी के प्रभारी (मुख्य नगरपालिका अधिकारी), परसवाड़ा के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ. वासु क्षत्रिय, लालबर्रा के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ.टी.सी. मेश्राम, किरनापुर के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ़ नागोराव रंगारे तथा कटंगी के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ़ पंकज दूबे शामिल हैं।
बालाघाट के जिलाधिकारी वी़ किरण गोपाल ने कहा कि लोक सेवा केन्द्रों के जरिये प्राप्त आवेदन का तय समय-सीमा में इन अधिकारियों द्वारा निस्तारण नहीं किया गया। तय समय-सीमा में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर इन पर 250 रुपये प्रतिदिन की दर से जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने की राशि समय पर सेवाएं नहीं मिलने से परेशान आवेदक को दी जाएगी।
इसी तरह आगर-मालवा जिले की सुसनेर जनपद पंचायत की सी.ई.ओ. तीजा पवार पर लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत प्राप्त पांच आवेदन-पत्रों का समय-सीमा में निराकरण नहीं करने पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
ज्ञात हो कि राज्य शासन द्वारा लोक सेवाओं की तय समय में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए लागू ‘लोक सेवा प्रदान गारंटी अधिनियम’ में अभी तक 23 विभाग की लगभग 155 सेवा को इस कानून के दायरे में लाया जा चुका है। इनमें से लगभग 72 सेवा के ऑनलाइन आवेदन प्रदेश में संचालित 336 लोक सेवा केन्द्र के जरिए प्राप्त किए जा रहे हैं।
अधिनियम में सेवाएं देने की निश्चित समय-सीमा तय की गई है। समय-सीमा में संबंधित अधिकारी को यह सेवा देनी होती है। समय-सीमा में काम न करने या अनावश्यक विलंब करने वाले अधिकारी एवं कर्मचारी पर दण्ड का प्रावधान है। यह दण्ड 250 रुपये से 5000 रुपये तक का है। दण्ड के रूप में मिलने वाली राशि आवेदक को क्षति-पूर्ति के रूप में दी जाती है।