भोपाल-मप्र सरकार ने विकास के नाम पर बाजार से 1500 करोड़ रुपया उठाया है.पहले से ही एक हजार करोड़ के कर्ज से लड़ी सरकार को कर्ज लेने में कोई गुरेज नहीं,वित्तमंत्री तो इसे विकास के लिए अच्छा मानते हैं.
मप्र सरकार ने रिजर्व बैंक के माध्यम से निविदा बुलवाई थी जिसमें 156 कम्पनियों ने भाग लिया.अन्य राज्यों को कर्ज देने इन कंपनियों से अधिक कम्पनियाँ सामने आयीं.पहले से कर्ज के बोझ में दबी सरकार अपनी देनदारियां चुकाने में असमर्थ दिख रही है ऊपर से कर्ज का घी पी कर वह विकास दिखाना चाहती है जो भारतीय अर्थ व्यवस्था की नीतियों के विपरीत है.