खंडवा (मप्र), 3 मई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने के खिलाफ चल रहा सत्याग्रह रविवार को 23वें दिन भी जारी रहा। इस बीच 23 सत्याग्रहियों के पैरों की खाल उधड़ चुकी है, उनकी हालत देख डीएमओ ने चिंता जताई है।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से दी गई जानकारी दी गई है कि जिला चिकित्सा अधिकारी (खंडवा) डा़ॅ आर.सी. पनिका ने फिर से घोगल गांव पहुंचकर सत्याग्रहियों के पैरों की जांच की और बताया कि 23 लोगों के पैरों की हालत अति गंभीर है। पैरों की ऊपर की खाल निकल गई है। उनके पैरों में सूजन और खुजली की शिकायत भी पाई।
डा़ॅ पनिका ने आग्रह किया कि सत्याग्रही इलाज कराएं, लेकिन सभी सत्याग्रहियों ने एक स्वर में दवा लेने या मरहम-पट्टी कराने से इनकार कर दिया।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की वरिष्ट कार्यकर्ता चितरुपा पालित ने कहा, “जहां तक विस्थापितों के पुनर्वास का प्रश्न है, ओंकारेश्वर बांध बना रही सरकारी कंपनी एनएचडीसी ने आज तक जितना लाभ कमाया है, उसी कमाई से ही संपूर्ण पुनर्वास हो सकता है, लेकिन सरकार की नीयत में खोट है।”
उल्लेखनीय है कि विगत वर्षो में बांध का निर्माण कर रही सरकारी कंपनी एनएचडीसी ने ओंकारेश्वर और इंदिरा सागर बांध से लगभग 4000 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया है। इसका एक हिस्सा ही पुनर्वास पर खर्च किया जाए तो सभी प्रभावितों का संपूर्ण पुनर्वास हो सकता है।
रविवार को राजधानी भोपाल में भी अलग-अलग संगठनों एवं समूहों ने बड़े तालाब के पास खंडवा जल सत्याग्रह के समर्थन में प्रदर्शन किया गया और हस्ताक्षर अभियान चलाकर सरकार का ध्यान इस ओर खींचने का प्रयास किया।