धर्मपथ-मप्र की राजनीती में एक प्रशासनिक अधिकारी ने अपने दिल का हाल क्या बयान किया,सभी नेता एक सुर में बोलने लगे.दरअसल वरिष्ठ आईएएस अधिकारी स्वास्थ्य महकमें के प्रमुख सचिव हैं और अपनी बेलगाम कार्यशेली के लिए जाने जाते हैं.इन महोदय ने स्वास्थ्य विभाग को ठीक करने की कोशिश तो खूब की लेकिन असफलता इनके हाथ लगी.
प्रवीर कृष्ण ने आज अपने फेसबुक पर छत्तीसगढ़ में हुए नसबंदी हादसे और उसमें अमानक दावा पर टिपण्णी क्या कर दी सभी एक सुर हो गए की प्रवीर जी को ऐसा नहीं कहना था वह भी दूसरे राज्य की सरकार के लिए क्योंकी प्रवीर जी एक अहम् प्रशासनिक पद पर हैं.
किसी ने भी यह नहीं देखा की इस लेखन के पीछे ममता अभियान की सफलता की कामना छिपी है.एक अधिकारी की यह सोच है की उस हादसे से सबक लेते हुए ऐतिहात बरती जाय.क्योंकि दवा का फर्जीवाड़ा प्रवीर जी तो जानते ही हैं और भी लोग जानते हैं.
मप्र के शासकीय अस्पतालों में जेनेरिक दवा लिखना अनिवार्य है लेकिन सरकारी अस्पतालों में दावा कंपनियों के नुमाइंदे देखे जा सकते हैं.
सरकारी कर्मचारी सरकारी डाक्टरों से इलाज करवाते हैं जेनेरिक दावा लिखते हैं हमारे चिकित्सक लेकिन मेडिकल बिलों की संख्या में कमी आज भी नहीं आ रही है.
इस अव्यवस्था के प्रति यदि एक अधिकारी ने लड़ाई लड़ी तो हर्ज ही क्या है,कम से कम कोई तो मर्द निकला.
भाजपा मीडिया प्रभारी जो पूर्व में स्वयं भी चिकित्सा अधिकारी रह चुके हैं ने बयान दिया की प्रवीर कृष्ण जी को ऐसा नहीं करना चाहिए था किसी दूसरी सरकार के लिए नहीं बोलना था .अरे प्रवीर जी प्रथमतः नागरिक है इस देश के तब ही न आगे कुछ हैं.
सरकार की आड़ ले कर लोकतांत्रिक सरकार को भी कुछ लोगों ने तानाशाही स्वरुप दे दिया है.यही जनता और देश के लिए घातक सिद्ध हो रहा है.