हरदा, 5 अगस्त (आईएएनएस)। अजय कुमार का रो-रो कर बुरा हाल है। वह बिहार से हैं। जीवन की गाड़ी को रफ्तार देने मुंबई के लिए निकले थे। मगर मध्य प्रदेश के हरदा जिले में हुए रेल हादसे में उनकी जीवन की गाड़ी को ब्रेक लग गया। जीवन संगिनी कंचन बाई आंखों के सामने पानी में डूबती रही और वह चाहकर भी उसे बचाने का साहस नहीं जुटा पाए।
हरदा, 5 अगस्त (आईएएनएस)। अजय कुमार का रो-रो कर बुरा हाल है। वह बिहार से हैं। जीवन की गाड़ी को रफ्तार देने मुंबई के लिए निकले थे। मगर मध्य प्रदेश के हरदा जिले में हुए रेल हादसे में उनकी जीवन की गाड़ी को ब्रेक लग गया। जीवन संगिनी कंचन बाई आंखों के सामने पानी में डूबती रही और वह चाहकर भी उसे बचाने का साहस नहीं जुटा पाए।
अजय जैसे और भी कई लोग हैं, जिन्होंने अपने परिजनों को मौत के मुंह में समाते देखा है।
अजय कुमार और पत्नी कंचन बाई अपनी बिटिया के साथ राजेंद्र नगर पटना से मुम्बई के लिए जनता एक्सप्रेस में सवार हुए थे। गाड़ी में उनकी यात्रा आरामदायक थी, सभी प्रसन्न थे, मगर पश्चिम मध्य रेलवे के भोपाल-खंडवा रेल खंड के हरदा जिले के खिरकिया-हरदा रेलवे स्टेशन के बीच पड़ने वाली काली माचक नदी के पुल पर गाड़ी के पहुंचते ही हालात बदल गए। गाड़ी में जोर से झटका लगा और कुछ ही देर में बचाओ-बचाओ के शोर के बीच जान बचाने के लिए अफरा-तफरी मच गई।
अजय रात का मंजर याद कर सिसकने लगते हैं, उनकी आंखों से आंसू की धारा बह निकलती है।
उन्होंने संवाददातओं से कहा, “यात्रा के दौरान सब कुछ सामान्य था। कोई सो रहा था, कोई सोने की तैयारी में था, तभी अचानक गाड़ी में झटका लगा और डिब्बे पलट गए। कुछ समझ पाते इससे पहले डिब्बे में पानी भरने लगा, बिटिया को लेकर डिब्बे से बाहर आया। बाहर आकर खिड़की से देखा कि पत्नी कंचन पानी में फंसी है, वह बाहर आने की कोशिश कर रही है, मगर उसे सफलता नहीं मिल रही।”
अजय जोर से रो पड़ते हैं, कहते हैं, “उन्होंने कंचन को पानी में लगातार डूबते देखा, चाहते थे कि किसी तरह उसे बचा लें, मगर डिब्बे के अंदर घुस कर उसे बचाने का साहस नहीं जुटा पाए। पत्नी को पानी में डूबकर मरते देखा। अब बिटिया बची है, जो अपनी मां को याद कर रोए जा रही है।”
अजय से मिलती-जुलती कहानी मालेगांव की मीरा बाई की है। मीरा अपनी चाची मथुरा बाई के साथ मुम्बई से कामायनी एक्सप्रेस से यात्रा कर रही थी। मीरा बाई बताती है, “गाड़ी में जोर से झटका लगा और लोग चिल्लाने लगे। गाड़ी पलट रही है, भगदड़ सी मच गई। डिब्बे से नीचे उतरने वालों के साथ हो गई। अपनी चाची को भी पुकारा और लोगों से मदद मांगी, मगर लोगों ने कहा कि पहले आप उतरिए, चाची को हम लोग उतारते हैं, फिर पानी के बीच चाची कहां गई कुछ पता नहीं है।”
हरदा के करीब काली माचक नदी के पुल से गुजरते समय मंगलवार रात मुम्बई से वाराणसी की ओर जा रही गाड़ी संख्या 11071 कामायनी एक्सप्रेस अनियंत्रित हो गई और उसकी सात बोगियां पटरी से उतर गईं। इनमें से चार नदी के पानी में जा समाईं।
इस हादसे के बाद दूसरी ओर से राजेंद्र नगर पटना से मुम्बई जा रही गाड़ी संख्या 13201 जनता एक्सप्रेस का इंजन और दो बोगियां पटरी से उतरकर नदी के पानी में डूब गईं।
जहां यह हादसा हुआ, नदी में पानी का बहाव बहुत तेज था, और कई लोगों का अब भी पता नहीं चल सका है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, 27 शव बरामद कर लिए गए हैं। कुछ शव घटना स्थल से कई किलोमीटर दूर मिले हैं।
गाड़ियों के पलटे डिब्बों से लेकर पानी के बीच राहत और बचाव दल के लोग तलाशी अभियान में लगे हैं। लापता लोगों की तलाश में उनके परिजन घटना स्थल से लेकर हरदा के अस्पताल में भटक रहे हैं।
परिजन शवों की चादरें हटा-हटा कर अपने प्रियजनों की पहचान की कोशिश में लगे हैं।
घटना स्थल पर पड़े सामानों, जूतों-चप्पलों के बीच भी लोग अपनों की तलाश कर रहे हैं।