भोपाल, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आपदा की घड़ी में किसानों को भरोसा दिलाया है कि राज्य सरकार उनके साथ है, वहीं उन्होंने 82 और तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है। साथ ही किसानों को जल्दी राहत राशि मुहैया कराने का वादा किया है।
राजधानी में संवाददाताओं से चर्चा करते हुए शुक्रवार को चौहान ने कहा कि उन्होंने सूखा की स्थिति का आकलन करने पर पाया है कि अवर्षा, फसलों के रोगों के कारण 23 जिलों के 19 हजार 900 गांव की फसलें प्रभावित हुई हैं। आज के आकलन के बाद राज्य की 82 तहसीलों को और सूखाग्रस्त घोषित किया गया है, पूर्व में 32 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया जा चुका है, इस तरह सूखाग्रस्त तहसीलों की संख्या 114 हो गई है।
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक अनुमान के अनुसार राज्य में सोयाबीन की फसल 58 लाख हेक्टेयर में बोई गई थी, मगर उसमें से 18 हेक्टेयर की फसल को नुकसान पहुंचा है। उड़द व मूंग की फसल इससे अलग है। सर्वेक्षण की विस्तृत रिपोर्ट 20 अक्टूबर के बाद आ जाएगी। इसलिए तय किया है कि पिछले वर्ष खरीफ की फसल से जो नुकसान हुआ था, उसकी राष्ट्रीय बीमा योजना की राहत 515 करोड़ और रबी फसल की राहत राशि 300 करोड़ रुपये किसानों को जल्दी उपलब्ध कराएगी।
उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाया कि वे घबराएं नहीं राज्य सरकार उनके साथ है। अभी किसानों की मदद के लिए एक हजार करोड़ रुपये है, मगर मदद राशि का कोई बंधन नहीं है। जरूरत पड़ी तो इसे दो से तीन हजार करोड़ रुपये तक किया जा सकता है।
इससे पहले मुख्यमंत्री चौहान ने अफसरों के साथ बैठक कर सूखे के हालात की समीक्षा के निर्देश दिए और कहा कि प्रदेश में सूखे से प्रभावित सभी किसानों को राहत राशि दी जाए। फसल बीमा की राशि किसानों को शीघ्र उपलब्ध कराई जाए। इस दौरान बताया गया कि गत खरीफ की फसल बीमा की 515 करोड़ की राशि शीघ्र करीब सवा चार लाख किसानों को वितरित की जाएगी।
प्रारंभिक अनुमान के अनुसार प्रदेश के 23 जिलों की 114 तहसीलों के 19 हजार 900 गांव प्रभावित हुए हैं। इनमें फसलों से हुए नुकसान पर करीब 1650 करोड़ रुपये राहत राशि की मांग प्रभावित जिलों से की गई है।
चौहान ने जिलेवार सूखे और फसलों की स्थिति की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि नुकसान का सर्वे वैज्ञानिक तरीके से आगामी 20 अक्टूबर तक पूरा किया जाए। प्रारंभिक अनुमान में प्राप्त जानकारी का एक बार फिर से परीक्षण किया जाए। केन्द्र से फसल नुकसान में सहायता के लिए मेमोरेंडम तैयार किया जाए। उन्होंने कहा कि वे स्वयं प्रधानमंत्री, केन्द्रीय वित्त मंत्री और केन्द्रीय गृह मंत्री से मिलकर प्रदेश में सूखे से हुए नुकसान की जानकारी देंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन किसानों की फसलें सूखे से प्रभावित हुई हैं उनके फसल ऋण वसूली स्थगित की जाएं। उन्हें रबी की फसल के लिए फसल ऋण उपलब्ध कराया जाए। प्रभावित ग्रामों में राहत कार्य शुरू किए जाएं। रबी की फसलों के लिए किसानों को सिंचाई के लिए सलाह दी जाए। आगामी रबी के लिए अभी से योजना बनाकर किसानों की मदद की जाए। कृषि के लिए दीर्घकालीन योजना बनाई जाए ताकि किसानों को बार-बार होने वाली आपदाओं से बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस संबंध में गठित टास्कफोर्स की बैठक शीघ्र कराई जाए। प्रभावित जिलों में पेयजल की उपलब्धता का आकलन किया जाए।
बैठक में बताया गया कि प्रारंभिक अनुमान के अनुसार सूखे से प्रदेश में सोयाबीन, उड़द, अरहर, मक्का और धान की फसलें प्रभावित हुई हैं। जिन ग्रामों में किसानों की फसलें 33 से 50 प्रतिशत तक खराब हुई हैं उनके अल्पकालीन फसल ऋणों को दो साल के लिए मध्यकालीन ऋण में तथा जिन किसानों की फसलें 50 प्रतिशत से ज्यादा प्रभावित हुई हैं उनके अल्पकालीन फसल ऋणों को तीन वर्ष के लिस मध्यकालीन ऋण में परिवर्तित किया जाएगा। मध्यकालीन अवधि में परिवर्तन होने वाले ऋण पर लगने वाले ब्याज का व्यय राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
जिन किसानों का अल्पकालीन ऋण मध्यकालीन ऋण में परिवर्तित किया जाएगा उन किसानों को वर्तमान में डिफल्टर नहीं मानते हुए नया ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। सूखा प्रभावित ग्रामों में मनरेगा के तहत 100 दिन के बजाए 150 दिन का काम उपलब्ध कराया जाएगा। पिछली रबी में 28 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की गई थी। इस वर्ष रबी में 28 लाख 50 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की जाएगी।