भोपाल- मप्र सहित देश के कई हिस्सों में स्वाइन फ्लू पैर-पसार चूका है लेकिन जमीन पर कार्य करने की बजाय शासन और उसके कारिंदे बयानबाजी कर घरों में दुबके हुए हैं.मुख्यमंत्री,स्वास्थ्य मंत्री,प्रमुख सचिव और अस्पताल अधीक्षक सिर्फ बयानबाजी कर रहे हैं.
मरीज तो भगवान् भरोसे हैं ही सबसे अधिक असुरक्षित उनकी तीमारदारी में लगे डाक्टर और अधीनस्थ कर्मचारी हैं.इन कर्मचारियों का अभी तक टीकाकारण नहीं करवाया गया है.शासन बयानबाजी और विज्ञापनों के जरिये जनता में भ्रम फैला रहा है की सब ठीक है.इसका उदाहरण तब देखने को मिला जब प्रमुख सचिव के एक चमचे जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने सूचना जारी की जो किसी भी मरीज के मप्र में नहीं पाए जाने के सम्बन्ध में थी.इस चमचे की तुरंत ही खबरचियों ने लानत-मलामत कर दी और उसे वास्तविकता का आइना दिखा दिया.
सत्ता और उसके चापलूस अधिकारीयों ने इस महामारी के समय भी मानवता के हनन का बीड़ा उठा रखा है और लाशों पर रोटी खा रहे हैं.इन मोटी सुविधाएं प्राप्त करने वाले अधिकारीयों की फेहरिस्त लम्बी है जो जनता के पैसों पर ऐश कर रहे हैं और गलत जानकारी दे कर आम आदमी को खतरे में डाल रहे हैं.
जो मास्क डाक्टरों को और कर्मचारियों को दिए जाने हैं वे मास्क उन्हें उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं.दवाइयाँ सरकारी अस्पतालों में नहीं हैं वे बाजार से लोग खरीद रहे हैं.मरीजों की संख्या वास्तविक स्थिति से कम बतायी जा रही है .गन्दगी का आलम चारों और है इस वजह से संक्रमण और फैला है.मुख्यमंत्री और मंत्रियों का स्थिति नियंत्रण में होने का दावा झूठा है और यह इनकी कार्यप्रणाली की पोल खोलती है.