(खुसुर-फुसुर)- भाजपा में संगठन की खराब हालत के चलते भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के एक कर्तव्यनिष्ठ पदाधिकारी जब अपनी रोजी-रोटी से महरूम हो गए और महीनों आश्वासन के बाद कुछ नहीं हुआ और न ही उनके मोर्चा अध्यक्ष ने कोई मदद की तब ये महाशय संगठन महामंत्री के कमरे में अपनी गुहार ले कर पहुँच गए जब इन्हें लगा की यहाँ से भी कोई उम्मीद नहीं दिख रही तब ये फट पड़े और आत्महत्या करने का अपना विचार सामने पेश कर दिया.अब तो महामंत्री जी को विचार करने पर मजबूर होना पड़ा और उन्होंने नव नियुक्त अध्यक्ष महोदय को फ़ोन किया,अध्यक्ष ने महापौर को घंटी मारी और पुनः आश्वासन नेता जी को दिया गया.अब देखना यह है की काम हो जाता है या नत्था आत्महत्या की तैयारी करता है.
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