भोपाल, 30 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में हुए भविष्य निधि घोटाले में भविष्य निधि कार्यालय के चार कर्मचारियों और अधिकारियों सहित 21 लोगों को केद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई ) की विशेष अदालत ने सजा सुनाई है। इन सभी पर कैद और अर्थदंड भी लगाया गया है।
सीबीआई के अधिवक्ता कमालुद्दीन ने गुरुवार को आईएएनएस को बताया कि राज्य में 2001 से 2003 के बीच 76 लाख का भविष्य निधि घोटाला हुआ था। फर्जी तरीके से भविष्य निधि निकालने के मामले की जांच सीबाआई ने की। इस मामले की सुनवाई करने के बाद सीबीआई की विशेष अदालत भोपाल के न्यायाधीश मनेाज श्रीवास्तव ने गुरुवार को फैसला सुनाया।
कमालुद्दीन ने कहा कि भविष्य निधि कार्यालय के चार कर्मचारियों ने 26 लोगों के खातों में 76 लाख रुपये जमा किए थे, इनमें से 17 वे खाते थे, जिनकी क्षतिपूर्ति (क्लेम) का निपटारा हो चुका था। इस घोटाले का मुख्य आरोपी भविष्य निधि कार्यालय का कर्मचारी गजेंद्र सिंह है। आरोपियों पर कुल 83 लाख का जुर्माना लगाया गया है।
इस फैसले में भविष्य निधि कार्यालय के चार कर्मचारियों को कैद व जुर्माना की सजा सुनाई गई है। गजेंद्र सिंह को सात साल की सजा सुनाने के साथ 66 लाख का जुर्माना भी लगाया है। इसी तरह इसी कार्यालय के सहायक आयुक्त डी. के. चांदने व सी. टी. जोसफ कुट्टी को पांच-पांच साल की सजा और ढाई-ढाई लाख का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा प्रताप सिंह पर सात लाख का जुर्माना व पांच साल की सजा सुनाई है।
न्यायाधीश श्रीवास्तव ने 17 अन्य आरोपियों को पर 20-20 हजार का जुर्माना लगाया गया है जबकि तीन-तीन साल की कैद काटनी होगी। इस मामले के आरोपी भापू भाई को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है।