मुरैना, 1 जून (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की धरती धीरे-धीरे सत्याग्रहों की भूमि बनती जा रही है, यहां किसी ने चिता सत्याग्रह चलाया, तो कोई जल सत्याग्रह को मजबूर हुआ और किसी को जन सत्याग्रह करना पड़ा। अब मुरैना में एक दलित महिला सरकारी विद्यालय के लिए सत्याग्रह की राह पर चल पड़ी है।
मुरैना जिले के पुरावस कलां में माध्यमिक स्तर का विद्यालय सिर्फ इसलिए नहीं बन पा रहा है, क्योंकि प्रस्तावित विद्यालय की पांच बीघा सरकारी जमीन दलित बस्ती के करीब है। इस गांव की पूर्व सरपंच बादामी देवी केंद्र और राज्य की सरकारों के सामने इस मसले को उठा चुकी है, उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को राखी बांधकर वचन लिया था, वह भी अधूरा रह गया।
बादामी देवी ने सरपंच रहते हुए पांच वर्ष तक संघर्ष किया, मगर माध्यमिक विद्यालय बनाने की कोशिश रंग नहीं ला पाई। कार्यकाल पूरा होने के बाद भी बादामी बाई का संघर्ष जारी है। बादामी जब सरपंच रहीं तो उन्हें तरह-तरह से परेशान किया गया, उन्होंने नौकरशाहों से शिकायत की, मगर बात नहीं बनी।
बादामी देवी दलित समुदाय की महिला हैं। वे सरपंच इसलिए बन पाईं, क्योंकि पंचायत अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित हो गई थी। गांव के प्रभावशाली लोगों ने उन्हें सरपंच न बनने देने की तमाम कोशिशें कीं, मगर गांव के लोगों ने उन्हें सरपंच बना दिया।
सरपंच रहते उन्होंने प्राथमिक विद्यालय को माध्यमिक विद्यालय में उन्नयन करने का प्रस्ताव पारित किया। तब कहा गया कि प्राथमिक विद्यालय का परिसर माध्यमिक विद्यालय के लिए कम पड़ेगा, साथ ही विरोधियों ने एक प्रस्ताव पारित किया कि जिस जमीन पर बादामी का पति चिम्मन खेती करता है, उस पर बनाया जाए। यह पांच बीघा सरकारी जमीन है। इस पर बादामी ने सहमति दे दी।
सामाजिक कार्यकर्ता जयंत तोमर ने आईएएनएस को बताया कि जिला शिक्षा केंद्र ने पंचायत के फैसले को दरकिनार कर प्राथमिक विद्यालय परिसर में ही माध्यमिक विद्यालय बनाने का आदेश दे दिया। तब तक बादामी पंचायत के फैसले के अनुसार, प्रस्तावित स्थल पर कार्य कराने पर राशि खर्च कर चुकी थी।
इसी बीच ग्राम सभा की बैठक में सरकारी इंजीनियर ने साफ कहा कि प्राथमिक विद्यालय परिसर में माध्यमिक विद्यालय नहीं बन सकता। ऐसे में कुछ लोगों ने एक बीघा दानपत्र की जमीन में विद्यालय बनाने का दवाब डाला। इतना ही नहीं, बादामी को चार वर्ष तक आजादी की सालगिरह और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने का मौका नहीं मिला। उसने जब इसके लिए भोपाल में मुख्यमंत्री चौहान के सामने अपनी बात रखी, तब वह पांचवें वर्ष में झंडा फहरा पाईं।
पूर्व सरपंच बादामी गांव में माध्यमिक विद्यालय के लिए अपना संघर्ष जारी रखे हुई हैं। बादामी 70 दिन से मुरैना में जिलाधिकारी के सामने सत्याग्रह कर रही हैं। उन्होंने आईएएनएस से कहा कि उनके कार्यकाल में ग्रामसभा ने विद्यालय बनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया था, मगर अब तक उस पर अमल नहीं हुआ है। लिहाजा, जब तक विद्यालय नहीं बन जाता, उनका संघर्ष जारी रहेगा।
बादामी इस संदर्भ में जिलाधिकारी शिल्पी गुप्ता से भी मिलीं, मगर शिल्पी कहती हैं कि अब नई पंचायत का गठन हो गया है, लिहाजा फैसला वही लेगी।
बादामी का कहना है कि प्रशासन का यह रवैया पंचायती राज कानून के खिलाफ है। पूर्व की पंचायत ने जो फैसला लिया था, उसे बदला नहीं जा सकता।