भोपाल, 6 फरवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के सरकार के अधीन आने वाले मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति होने वाली है। राज्य के अध्यात्म विभाग ने पुजारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इन नियुक्तियों में पुजारियों के वंशजों को प्राथमिकता दी जाएगी।
अध्यात्म विभाग ने पुजारियों की नियुक्ति के लिए जो नियम बनाए हैं। उसके मुताबिक पुजारियों की नियुक्ति में वंश परंपरा गुरू-शिष्य परंपरा को प्राथमिकता दी जाएगी। राज्य में पहली बार सरकारी स्तर पर पुजारियों की नियुक्तियों के संबंध में नियम प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
आधिकारिक तौर पर मंगलवार को जारी ब्यौरे के अनुसार, शासन द्वारा पुजारियों की नियुक्ति हेतु अर्हताएं (योग्यताएं) तय की गई हैं। पिता के पुजारी होने की दशा में उसी वंश के आवेदक को अन्य सभी योग्यताएं पूर्ण करने पर प्राथमिकता दी जाएगी। पुजारी पद के लिए आठवीं तक शिक्षित, न्यूनतम उम्र 18 वर्ष एवं स्वस्थ होना आवश्यक है। पूजा विधि का प्रमाण-पत्र परीक्षा उत्तीर्ण होकर पूजा विधि का ज्ञान व शुद्ध शाकाहारी होना जरूरी है। पुजारी मद्यपान न करने वाला और अपराधिक चरित्र का नहीं होना चाहिए।
अध्यात्म विभाग ने तय किया है कि अगर कोई मंदिर मठ की श्रेणी में आता है और उस मंदिर पर किसी संप्रदाय विशेष अथवा अखाड़ा विशेष के पुजारी होने की परंपरा रही है तो गुरू-शिष्य परंपरा के आधार पर पुजारी की नियुक्ति प्राथमिकता से की जाएगी। किसी दरगाह आदि पर होने वाली नियुक्ति में वंश परंपरा की प्रथा है और नियुक्ति के समय इसका ध्यान रखा जाएगा।
तय प्रक्रिया के अनुसार, आवेदन अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। एसडीएम संबंधित आवेदन का परीक्षण और अन्य जरूरी प्रक्रिया को संपादित करेगा। उसके बाद ही पुजारी की नियुक्ति की जाएगी।
ज्ञात हो कि राज्य सरकार पुजारियों को मिलने वाले मानदेय को तीन गुना करने का ऐलान कर चुकी है। राज्य के पुजारियों को अब तक एक हजार रुपये मानदेय मिलता है जो बढ़कर तीन हजार हो जाएगा।