जबलपुर, 17 अप्रैल (आईएएनएस)। जबलपुर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ वन रक्षक भर्ती मामले में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी (एफआईआर) पर स्थगन का अंतरिम आदेश दिया है। मगर जांच जारी रहेगी। मुख्य न्यायाधीश अजय मानिकराव खानविलकर व न्यायाधीश रोहित आर्या की खंडपीठ ने विस्तृत आदेश सुरक्षित रखा है।
जबलपुर, 17 अप्रैल (आईएएनएस)। जबलपुर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ वन रक्षक भर्ती मामले में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी (एफआईआर) पर स्थगन का अंतरिम आदेश दिया है। मगर जांच जारी रहेगी। मुख्य न्यायाधीश अजय मानिकराव खानविलकर व न्यायाधीश रोहित आर्या की खंडपीठ ने विस्तृत आदेश सुरक्षित रखा है।
बहुचर्चित व्यापमं घोटाला मामले में एसटीएफ द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने को चुनौती देते हुए राज्यपाल रामनरेश यादव की ओर से उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। दायर याचिका में संविधान की धारा 361(2)व(3)का हवाला देते हुए कहा गया कि राष्ट्रपति व राज्यपाल के खिलाफ अपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती है और उन्हें गिरफ्तार भी नहीं किया जा सकता है। इस याचिका पर सोमवार को हुई लंबी सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने फैसला 17 अप्रैल तक सुरक्षित रख लिया था।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता महेंद्र पटेरिया ने बताया कि खंडपीठ ने विस्तृत फैसला सुरक्षित रखते हुए एसटीएफ द्वारा दर्ज एफआईआर पर स्थगनादेश जारी किया है। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि राज्यपाल के संवैधानिक अधिकार का हनन किसी स्थिति में नहीं होना चाहिए।
राज्यपाल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वन रक्षक भर्ती 2013 के मामले में एसटीएफ ने पहले से अपराध दर्ज कर रखा है। एसटीएफ ने इसी मामले में हाल ही में एक और प्रकरण दर्ज किया है, जिसमें राज्यपाल, पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, खनन कारोबारी सुधीर शर्मा सहित व्यापमं के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी व सीनियर सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिंद्रा सहित 101 नामजद सहित अन्य को आरोपी बनाया है।
यह एफआईआर पंकज त्रिवेदी व नितिन महिंद्रा के बयान व महिंद्रा के कार्यालय में लगे कंप्यूटर से जब्त सेकेंड हार्ड डिस्क में मिले दस्तावेज के आधार पर की गई है।
खंडपीठ को बताया गया था कि जिस एक्सल सीट के आधार पर राज्यपाल राम नरेश यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उसमें सिर्फ गवर्नर लिखा हुआ है।
सवाल उठाया गया है कि अभियुक्त पंकज त्रिवेदी व नितिन महिंद्रा द्वारा दी गई जानकारी को एसटीएफ ने आधार बनाकर एफआईआर कैसे दर्ज कर ली।
वहीं संविधान की धारा 361(2) में राष्ट्रपति व राज्यपाल को प्राप्त संरक्षण, उनके विरुद्घ किसी भी आपराधिक प्रक्रिया को शुरू करने के संबंध में प्रतिबंध लागू करता है। उसमें एफआईआर व शिकायत दर्ज करना भी आपराधिक प्रकिया को शुरू करना माना जाएगा। राज्यपाल को प्राप्त संरक्षण संवैधानिक रूप से पूर्व संरक्षण है।
याचिका में यह भी कहा गया था कि जांच की मनिटरिंग कर रही एसआईटी के समक्ष कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने साक्ष्यों के साथ एक शिकायत प्रस्तुत की है। इसमें कहा गया है कि ओरिजनल एक्सेल सीट में 45 जगह सिफारिशकर्ता के रूप में मुख्यमंत्री लिखा गया है, जबकि तैयार की गई एक्सेल सीट में एक जगह राजभवन, सात जगह उमा भारती के नाम का प्रयोग किया गया है।
इसके अलावा प्रकाश पांडे नामक एक व्यक्ति ने भी दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर असली एक्सेल सीट उसके पास होने का दावा किया है।
याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्श मुनि त्रिवेदी व महेंद्र पटेरिया ने भी पक्ष रखा था। पटेरिया के अनुसार न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्यपाल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर रोक लगाई है, मगर जांच जारी रहेगी। अभी विस्तृत आदेश सुरक्षित रखा है। यह अंतरिम आदेश आगामी फैसला आने तक अमल में रहेगा।
यहां बता दें कि राज्यपाल की ओर से दायर की गई याचिका में जांच में पूरा सहयोग किए जाने की बात कही गई है, उच्च न्यायालय ने जांच जारी रखते हुए राज्यपाल के प्रोटोकॉल का ध्यान रखने का एसटीएफ को निर्देश दिया है।