अनिल सिंह(भोपाल)-मप्र का पुलिस विभाग और कोई कार्य करे या करे संघ के नेताओं के प्रति जिम्मेदार है,संघ के बड़े नेताओं का नाम आते ही पुलिस विभाग ने अपनी जिम्मेदारी दिखाते हुए त्वरित कार्यवाही करते हुए स्व. सुदर्शन जी और सुरेश सोनी जी को बेदाग बताया है.
सवाल यह उठता है की आखिर किस दबाव में पुलिस विभाग नें यह प्रेस-नोट जारी किया है.यह प्रेस-नोट पुलिस की उस स्वीकारोक्ति को भी गलत ठहराता है जिसमें प्रस्तुत किये चालन के दस्तावेजों को पुलिस गलत ठहराते नजर आ रही है.भारत में यदि यह होता रहा तब लोकतंत्र किस दिशा में जायेगा यह भयावह है.पुलिस की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आ गयी है यदि कोई समाज का छोटा व्यक्ति किसी वजह में फंसता है तब क्या प्रेस-नोट जारी होता है या इसी मामले में यह जरूरी था.